मोबाइल डिवाइस बनाने वाली कंपनियों ने सरकार से कहा है कि उन्हें जीएसटी से पहले का स्टॉक क्लियर करने के लिए और समय मिले. वित्त मंत्रालय को लिखे एक पत्र में इन्होंने कहा है कि उन्हें इसके लिए कम से कम 6 महीनों का वक्त दिया जाना चाहिए. इन्होंने मांग की है कि जून, 2018 तक इसके लिए वक्त मिले, ताकि मैन्युफैक्चरर्स इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा उठा सकें.
मोबाइल मैन्युफैक्चरर्स ने कहा है कि अलग-अलग राज्यों में उनका 30 फीसदी से ज्यादा पुराना स्टॉक बाकी है. ऐसे में उनके लिए इस महीने के आखिरी दिनों में स्टॉक क्लियर करना मुश्किल हो जाएगा. इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन (आईसीए) ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को एक पत्र लिखा है.
इसमें उन्होंने कहा है, ”हमारा फीडबैक ये है कि पुराने स्टॉक को क्लियर करने के लिए दिसंबर तक का समय काफी नहीं है.” उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में 20 से 30 फीसदी पुराना स्टॉक पाइपलाइन में है.
एसोसिएशन में ऐपल, सैमसंग, ओप्पो, विवो और माइक्रोमैक्स समेत अन्य मोबाइल कंपनियों के मैन्युफैक्चरर्स शामिल हैं. एसोसिएशन ने कहा है कि जैसे जीएसटी के टाइम 6 महीनों का वक्त दिया गया था, वैसे ही फिर कम से कम 6 महीनों का वक्त दिया जाए. इससे पुराने स्टॉक को क्लियर करने के लिए जरूरी समय मिल जाएगा.
एसोसिएशन ने कहा कि इससे सरकार को राजस्व का नुकसान भी नहीं होगा. क्योंकि इन पर ड्यूटी पहले ही अदा की जा चुकी है. इसके अलावा इनपुट टैक्स क्रेडिट का विकल्प असीमित समय के लिए है.
आईसीए ने कहा कि सरकार के दिसंबर तक डेडलाइन रखने के पीछे कई कारोबारियों के मन में गुस्सा है. कई लोग इस संबंध में हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटा चुके हैं. एसोसिएशन ने कहा कि मैन्युफैक्चरर्स को राहत देने की गुंजाइश बनती है और सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.