बड़ी खबर: बिकरू कांड में शामिल विष्णुपाल सिंह और शिवम दुबे ने माती कोर्ट में सरेंडर किया

बिकरू कांड के दो और आरोपियों ने बुधवार पुलिस को चकमा देकर माती कोर्ट में सरेंडर कर दिया। इसमें विकास दुबे का खास गुर्गा व भीटी गांव का प्रधान जिलेदार भी शामिल है। दोनों पर 50-50 हजार का इनाम था। वारदात के दिन विकास संग इन दोनों ने भी पुलिस टीम पर गोलियां चलाई थीं।

कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। बिकरू कांड में शामिल विष्णुपाल सिंह यादव उर्फ जिलेदार दहशतगर्द विकास का खास गुर्गा है। उसे विकास का राइट हैंड कहते हैं। विकास की नामौजूदगी में वह ही सारा काम देखता था। वहीं दूसरा आरोपी शिवम दुबे एसटीएफ द्वारा चित्रकूट में पकड़े गए बाल गोविंद का बेटा है।

दो जुलाई की रात जिलेदार और शिवम दुबे ने भी पुलिस टीम पर हमला किया था। पुलिस ने इनको भी नामजद आरोपी बनाया है। इसके बाद से दोनों फरार चल रहे थे। उन पर 50 हजार का इनाम है। बुधवार को आरोपी अपने-अपने वकीलों के साथ स्पेशल जज दस्यु प्रभावित कोर्ट में पेश हो गए। एसपी ग्रामीण बृजेश श्रीवास्तव ने बताया कि रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी।

दहशतगर्द विकास दुबे का आतंक बिकरू के साथ ही आसपास के गांवों में भी था। चौबेपुर व मैथा ब्लाक की तीस ग्राम पंचायतों में पंचायत चुनाव के दौरान विकास का फरमान चलता था। वह जिस पर हाथ रखता, वही प्रधान बनता था। विष्णुपाल सिंह उर्फ जिलेदार विकास की सरपरस्ती में ही भीटी गांव का प्रधान बना था।  कहा जाता है कि जिलेदार तो केवल नाम का प्रधान है। उसका पूरा काम विकास के आदेश पर ही होता था।

बिकरू कांड के आरोपी चौबेपुर के तत्कालीन थानाध्यक्ष विनय तिवारी के अधिवक्ता ने स्पेशल जज डकैती की कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी थी। बुधवार को मामले की सुनवाई तय थी, लेकिन विनय तिवारी के अधिवक्ता कोर्ट में आए ही नहीं। इस पर कोर्ट ने उसके जमानती प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया है। दरोगा केके शर्मा के जमानती प्रार्थना पत्र पर मंगलवार को सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने उसकी जमानत निरस्त कर दी थी।  सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रशांत कुमार मिश्रा ने बताया कि विनय तिवारी के अधिवक्ता के न आने की वजह से प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया गया है।

 

 

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