बड़ी खबर: पटना एयरपोर्ट रनवे की लंबाई है बेहद कम हो सकता है कोझीकोड एयरपोर्ट जैसा हादसा

केरल के कोझीकोड एयरपोर्ट पर शुक्रवार की शाम जिस तरीके का विमान हादसा हुआ है वैसा ही खतरा पटना एयरपोर्ट के लिए भी बना हुआ है. इसकी मुख्य वजह है पटना एयरपोर्ट पर रनवे की लंबाई का काफी कम होना, जिसकी वजह से विमान की लैंडिंग के दौरान हमेशा ही ओवर शूटिंग का खतरा बना रहता है.

सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने कई मौकों पर पटना रनवे की कम लंबाई होने की वजह से एयरपोर्ट को बड़े विमान जैसे बोइंग 737 और एयरबस A320 की उड़ान और लैंडिंग के लिए असुरक्षित की श्रेणी में रखा है.

कई मौकों पर तो सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने असुरक्षित होने के कारण पटना एयरपोर्ट पर बड़े विमानों के आवागमन को रोकने की भी बात कही है. मगर इसके बावजूद भी पटना एयरपोर्ट पर लगातार विमानों का आवागमन जारी है और किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा होने का खतरा है.

पटना एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई 2072 मीटर है जबकि अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन के डेटा के मुताबिक, बड़े विमान जैसे बोइंग 737 और एयरबस A320 की लैंडिंग और उड़ान के लिए रनवे की लंबाई कम से कम 2300 मीटर होनी चाहिए.

2072 मीटर रनवे की लंबाई में भी अगर कोई विमान पूर्वी दिशा से लैंड करता है तो केवल 1938 मीटर ही रनवे की लंबाई है और अगर कोई भी विमान पश्चिमी देशों से लैंड करता है तो रनवे की लंबाई केवल 1677 मीटर है, जो बेहद खतरनाक है.

पटना एयरपोर्ट इस वजह से भी खतरनाक है क्योंकि यह शहर के बीचोबीच स्थित है. एयरपोर्ट के एक तरफ चिड़ियाघर है तो दूसरी तरफ फुलवारी शरीफ रेलवे स्टेशन है. पहले तो चिड़ियाघर में पेड़ों की लंबाई इतनी ज्यादा थी कि इसकी वजह से भी विमान के इससे टकराने की आशंका बनी रहती थी. मगर तकरीबन 4 साल पहले बिहार सरकार ने चिड़ियाघर के सभी बड़े-बड़े पेड़ों की लंबाई को काट कर छोटा कर दिया कि विमान के लैंडिंग या उड़ान में कोई बाधा न पहुंचे.

पटना एयरपोर्ट से कुछ दूरी पर ही बिहार सरकार का सचिवालय मौजूद है जहां पर एक क्लॉक टावर है, जिसकी ऊंचाई 333 फीट है. सचिवालय में इस लंबी ऊंचाई वाले क्लॉक टावर की वजह से भी विमान की लैंडिंग और उड़ान के वक्त खतरा बना रहता है.

पटना एयरपोर्ट पर इसी खतरे को देखते हुए 2016 में राज्य सरकार और सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के बीच एक करार हुआ जिसके तहत पटना से 35 किलोमीटर दूर बिहटा में एक नया एयरपोर्ट बनाने का काम शुरू किया गया.

राज्य सरकार और सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के करार के मुताबिक, बिहटा में मौजूद डिफेंस एयरबेस का विस्तार किया जा रहा है ताकि कमर्शियल विमानों का आवागमन हो सके.

2016 में राज्य सरकार ने बिहटा डिफेंस एयरबेस के पास एयरपोर्ट निर्माण करने के लिए 126 एकड़ जमीन अधिग्रहण के लिए 260 करोड़ रुपये की मंजूरी भी दी थी. माना जा रहा है कि बिहटा में नया एयरपोर्ट बन जाने के बाद पुराना पटना एयरपोर्ट और नया एयरपोर्ट मिलाकर कुल यात्रियों की संख्या तकरीबन 15 लाख सालाना हो जाएगी.

कैप्टन अभिषेक चंद्रा, पूर्व कमर्शियल पायलट और एविएशन एक्सपर्ट बताते हैं कि पटना एयरपोर्ट दो कारणों से खतरनाक है, रनवे की छोटी लंबाई और शहर के बीचोबीच इसका स्थित होना.

‘देशभर में 10 ऐसे एयरपोर्ट हैं, जिसे डीजीसीए ने और असुरक्षित और खतरनाक घोषित किया हुआ है. पटना एयरपोर्ट उन्हीं में से एक है. रनवे की कम लंबाई के कारण ही पायलट को शॉर्ट फील्ड लैंडिंग या फिर शॉर्ट फील्ड टेक ऑफ करना पड़ता है. पटना एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई छोटे होने के साथ-साथ इस एयरपोर्ट का शहर के बीच में होना भी काफी खतरनाक है. आमतौर पर अन्य शहरों में एयरपोर्ट शहर के बाहर बसा होता है मगर पटना में यह शहर के बीचो-बीच है.’

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