बैंकों में 10 नवंबर से 30 दिसंबर तक जमा हो रहे 500 और 1000 रुपये के बंद हो चुके नोटों की हर जमा पर्ची की जांच होगी। नोटबंदी के बाद चार्टर्ड एकाउंटेट बैंकों का आडिट कर रहे हैं, जिसमें बंद नोटों के जमा और एक्सचेंज में किए गए मैनेजरों के ‘खेल’ को खंगाला जा रहा है। फर्जी खातों के जरिए करोड़ों के फंड ट्रांसफर और संदेहास्पद लेन-देन वाले एकाउंट और उनकी शाखाओं का फोरेंसिक ऑडिट भी किया जाएगा। 31 दिसंबर तक सभी बैंकों की आडिट रिपोर्ट जमा करनी होगी।
नोटबंदी के बाद अपने बैंक एकाउंट में जितने भी पुराने नोट जमा किए, उनका मिलान कंप्यूटर में दर्ज एंट्री और पे-इन स्लिप (जमा पर्ची) से किया जाएगा। रिजर्व बैंक की गाइड लाइन के बाद चार्टर्ड एकाउंटेंट ने बैंकों का आडिट शुरू कर दिया है, जिसमें 10 नवंबर से खातों में जमा किए गए पुराने नोटों का पूरा ब्योरा जांचा जाएगा।
दरअसल कई प्राइवेट बैंकों ने दिन भर में जमा हुए चलन वाले नोटों के नकदी की जगह बंद नोटों को ही जमा कर बड़े खेल किए। इन शिकायतों पर ही कंप्यूटर में दर्ज एंट्री के साथ हर दिन के कैश बैलेंस की जांच और बंद नोटों की संख्या तक को जांचा जा रहा है।
बैंकों के कान्करेंट आडिट में पहली बार डीनॉमिनेशन के बाद के ब्योरे को शामिल किया गया है, जिसका फार्मेट रिजर्व बैंक ने भेजा है। 10 नवंबर से ही सभी बैंकों के साफ्टवेयर में बंद नोटों का ब्योरा भरने का विकल्प आने लगा था, लेकिन कई बैंक मैनेजरों ने इनमें गलत एंट्री करके कमीशन पर नए नोट बदल दिए थे।
ऐसे खाते जिनमें संदेहास्पद लेन-देन हुआ है, जिनमें कई सालों तक कुछ भी रकम जमा या निकासी नहीं हुई लेकिन नोटबंदी के बाद लगातार जमा और निकासी हो रही है, इन पर निगाह है। हर जमा पर्ची के डीनॉमिनेशन का आडिट हो रहा है-
दरअसल कई प्राइवेट बैंकों ने दिन भर में जमा हुए चलन वाले नोटों के नकदी की जगह बंद नोटों को ही जमा कर बड़े खेल किए। इन शिकायतों पर ही कंप्यूटर में दर्ज एंट्री के साथ हर दिन के कैश बैलेंस की जांच और बंद नोटों की संख्या तक को जांचा जा रहा है।
बैंकों के कान्करेंट आडिट में पहली बार डीनॉमिनेशन के बाद के ब्योरे को शामिल किया गया है, जिसका फार्मेट रिजर्व बैंक ने भेजा है। 10 नवंबर से ही सभी बैंकों के साफ्टवेयर में बंद नोटों का ब्योरा भरने का विकल्प आने लगा था, लेकिन कई बैंक मैनेजरों ने इनमें गलत एंट्री करके कमीशन पर नए नोट बदल दिए थे।
ऐसे खाते जिनमें संदेहास्पद लेन-देन हुआ है, जिनमें कई सालों तक कुछ भी रकम जमा या निकासी नहीं हुई लेकिन नोटबंदी के बाद लगातार जमा और निकासी हो रही है, इन पर निगाह है। हर जमा पर्ची के डीनॉमिनेशन का आडिट हो रहा है-