बेहद गरीब देशों में शामिल अफगानिस्‍तान में कोरोना मरीजों की संख्‍या में बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा अंतरराष्ट्रीय ऑर्जेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन

अफगानिस्‍तान को लेकर अंतरराष्ट्रीय ऑर्जेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) की चेतावनी भारत समेत अन्‍य एशियाई देशों के लिए मुसीबत का सबब बन सकती ही है।

इस चेतावनी में कहा गया है कि आने वाले समय में अफगानिस्तान कोरोना वायरस का नया केंद्र बन सकता है। यदि ये आशंका सच होती है तो भारत को इसके प्रति अभी से सजग होने की जरूरत होगी।

आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि एशिया में अब तक कोरोना वायरस के 604,028 मामले सामने आ चुके हैं इनमें से 255,744 एक्टिव केस हैं जबकि 327,457 मरीज ठीक हो चुके हैं।

एशिया में अब तक इस जानलेवा वायरस से 20,827 मरीजों की मौत हो चुकी हैं। यहां पर तुर्की फिलहाल में इससे सबसे अधिक प्रभावित देश है। यहां पर अब तक कुल 131,744 मामले सामने आए हैं और 3,584 की मौत अब तक हो चुकी है। एशिया के टॉप-10 देशों की बात करें तो इनमें तुर्की के बाद ईरान, चीन, भारत, सऊदी अरब, पाकिस्‍तान सिंगापुर, कतर, इजराइल और यूएई है।

अफगानिस्‍तान को लेकर दी गई आईओएम की चेतावनी में ये भी कहा गया है कि देश की करीब 80 फीसदी जनसंख्या इसकी चपेट में आ सकती है। आपको बता दें कि अफगानिस्तान में कोविड 19 से 3,392 लोग संक्रमित हैं और 104 लोगों की मौत हो चुकी है।

आईओएम की मानें तो यहां पर इसके मरीजों की संख्‍या में बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा है। ये दुनिया के अन्य देशों के अनुपात के मुकाबले काफी ज्यादा है।

आपको यहां पर ये भी बता दें कि काबुल की जनसंख्या करीब 50 से 70 लाख है। आपको बता दें कि अफगानिस्‍तान वर्षों से आतंकवाद की मार झेल रहा है। ये देश एशिया के गरीब देशों में शामिल है। एशिया के 50 देशों की बात करें तो जीडीपी के मामले में अफगानिस्‍तान 49वें नंबर पर है। वर्षों से युद्ध की आग झेल रहा अफगानिस्‍तान आर्थिकतौर पर बुरी तरह से टूटा हुआ है।

इतना ही नहीं यहां पर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्‍यूपमेंट्स की भारी कमी है। इसको देखते हुए पिछले माह विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने लाखों की तादाद में पीपीई मुहैया करवाई थीं। इसके अलावा अफगानिस्‍तान को आर्थिक मदद भी मुहैया करवाई गई है।

गौरबलत है कि अफगानिस्‍तान में कट्टरपंथियों ने इसके विकास को जबरदस्‍त नुकसान पहुंचाया है। इसके साथ ही तालिबान और दूसरे आतंकी संगठनों ने भी इसको आर्थिक क्षति पहुंचाई है।

तालिबान के समय में यहां पर महिलाओं के सभी अधिकारों को खत्‍म कर दिया गया था। लेकिन तालिबान के उखड़ने के बाद यहां पर दोबारा महिलाओं ने खुले में सांस ली है।

तकनीकी तौर पर भी अफगानिस्‍तान इस महामारी से निपटने में पूरी तरह से सक्षम नहीं है। इसके लिए उसको दूसरे देशों की मदद की दरकार होगी। वहीं अफगानिस्‍तान से जिन देशों की सीमाएं लगती हैं जिसमें विशेषकर पाकिस्‍तान शामिल है, से आने और जाने वाले लोगों पर कड़ी निगरानी रखनी होगी।

जहां तक आईओएम की चेतावनी से भारत और दूसरे देशों के सजग रहने का सवाल है तो वो इसलिए भी जरूरी है यहां पर संक्रमण खतरनाक स्‍तर पर पहुंचने की सूरत में भारत को अपने वहां पर बसे अपने नागरिकों को एयरलिफ्ट करना होगा।

इसके अलावा वहां पर मौजूद अपनी एंबेसी के कर्मचारियों की सेहत पर भी पूरी निगाह रखनी होगी। इसके लिए जरूरी ये भी है कि वहां पर पीपीई किट समेत अन्‍य चीजों की आपूर्ति समय रहते कर दी जाए।

ये हर लिहाज से जरूरी होगा। इसके साथ ही विश्‍व के दूसरे देशों को भी इसमें सहयोग करना होगा कि अफगानिस्‍तान में इस तरह की खतरनाक परिस्‍थति न बन सके।

वर्तमान की बात करें तो अफगानिस्‍तान कोरोना से प्रभावित एशियाई देशों की सूची में 20वें नंबर पर है, लेकिन, यदि समय रहने आईओएम की चेतावनी पर ध्‍यान देते हुए सही कदम न उठाए गए तो ये सभी के लिए समस्‍या का सबब बन सकती है।

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