बुराड़ी के संतनगर की गली नंबर- 2 के लोगों की जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है। गली में अब सामान्य दिनों की तरह ही आसपास के लोगों की आवाजाही शुरू हो गई है। हालांकि, घटना के 14 दिन बाद भी गली में लगी पुलिस की बैरिकेडिंग हटी नहीं है, क्योंकि पुलिस जांच जारी है। मकान के बाहर अब भी पुलिसकर्मी तैनात हैं। वहीं, अब न तो गली के बाहर लोगों की भीड़ दिखाई देती है और न ही मीडियाकर्मी व टीवी चैनलों की ओवी वैन नजर आती हैं।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, सबकुछ सामान्य होने लगा है और गली में रहने वाले लोगों की दिनचर्या भी पहले की तरह पटरी पर लौटने लगी है। घटना के बाद आसपास की गलियों में रहने वाले लोगों ने गली नंबर दो की तरफ रुख करना बंद कर दिया था। खासकर स्कूली बच्चे व महिलाएं इस गली से मुख्य मार्ग पर आने से कतराने लगी थीं। लेकिन, अब ऐसा नहीं है। चूंकि मकान अब भी पुलिस के कब्जे में है और मौके पर दिन रात पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगी हुई है, ऐसे में लोग थोड़े घबराए हुए जरूर हैं।
वहीं, स्थानीय लोगों को कहना है कि 14 दिनों के बाद हमारी आंखों के सामने घटना के दृश्य घूम जाते हैं, लेकिन इस गली के लोग अब उन स्मृतियों को बाहर करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
पड़ोस में रहने वाले वीरेंद्र त्यागी कहते हैं- ‘सब कुछ पहले की तरह चलने लगा है, हम सब घटना को भूलने की कोशिश कर रहे हैं, देखिए अब बच्चे भी गली से आने जाने लगे हैं। पुलिस की बैरिकेड हट जाएगी तो धीरे-धीरे लोग हादसे को भूल जाएंगे।’ वहीं, पास की गली में रहने वाली सुजाता सिंह कहती हैं- ‘शुरू में बच्चों को थोड़ा डर लगा था, लेकिन अब से इस गली से आ-जा रहे हैं।’
यहां पर बता दें कि दिल्ली में अब तक की सबसे बड़ी सनसनीखेज घटना में बुराड़ी स्थित एक घर में एक जुलाई की सुबह एक ही परिवार के 11 लोग संदिग्ध हालात में मृत पाए गए थे। मृतकों में सात महिलाएं व चार पुरुष थे, जिनमें दो नाबालिग थे। एक महिला का शव रोशनदान से तो नौ लोगों के शव छत से लगी लोहे की ग्रिल से चुन्नी व साड़ियों से लटके मिले। एक बुजुर्ग महिला का शव जमीन पर पड़ा मिला था। नौ लोगों के हाथ-पैर व मुंह बंधे हुए थे और आंखों पर रुई रखकर पट्टी बांधी गई थी।
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