बीमा क्षेत्र के नियामक इरडा के आंकड़ों के मुताबिक देश की 23 बीमा कंपनियों के पास 15,166.67 करोड़ रुपये की ऐसी रकम पड़ी है, जिसका कोई दावेदार नहीं है। इनमें सार्वजनिक बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) के पास ही सबसे ज्यादा 10,509 करोड़ रुपये की रकम पड़ी हुई है, जबकि शेष 22 बीमा कंपनियां 4,657.45 करोड़ रुपये के दावेदारों की तलाश कर रही हैं।
निजी बीमा कंपनियों में आइसीआइसीआइ प्रुडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के पास पड़ी 807.4 करोड़ रुपये रकम के दावेदार बीामधारकों का अता-पता नहीं है, तो रिलायंस निप्पों लाइफ इंश्योरेंस को 696.12 करोड़ रुपये के दावेदारों की तलाश है। एसबीआइ लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के पास पड़ी 678.59 करोड़ रुपये रकम का कोई दावेदार नहीं है, जबकि एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के पास भी ऐसी 659.3 करोड़ रुपये की रकम है, जिसके लिए उसे दावेदारों या उनके लाभुकों की तलाश है।
बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों से ऐसे बीमाधारकों या उनके लाभुकों की पहचान करने और उन्हें रकम वापस लौटाने के लिए पहले ही कह रखा है। इरडा ने बीमा कंपनियों से उनकी वेबसाइट पर तलाशी सुविधा मुहैया कराने को कहा है, ताकि बीमाधारक, उनके लाभुक या रिश्तेदार संबंधित रकम का दावा कर सकें।
इसके लिए बीमाधारकों, लाभुकों या उनके रिश्तेदारों को संबंधित बीमा कंपनी की वेबसाइट बीमा संख्या, पैन संख्या, जन्म तिथि या आधार नंबर जैसी जानकारी देने को कहा गया है, ताकि बीमा कंपनियां उनका सत्यापन कर रकम वापस कर सकें। बीमा कंपनियों को कहा गया है कि वे इस तरह की रकम की सूचना छमाही आधार पर अपनी वेबसाइट पर जारी करें।
गौरतलब है कि हर बीमा कंपनी में खाताधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक समिति होती है, जो बीमाधारकों का बकाया समय पर भुगतान कराना सुनिश्चित करती है। बीमा कंपनियों द्वारा इस दिशा में उचित कदम उठाए गए या नहीं, यह देखने का जिम्मा भी संबंधित कंपनी की समिति का ही है।