बिहार की नवगठित 17वीं विधानसभा का पहला सत्र सोमवार से आरंभ हो गया है। पांच दिनी यह सत्र 27 नवंबर को समाप्त होगा। वहीं, राजद नेता तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव विधानसभा पहुंचे। दूसरी तरफ, वैशाली में एक युवती को जिंदा जलाने वाले मामले को लेकर कांग्रेस ने प्रदर्शन किया।
इस महीने की शुरुआत में वैशाली जिले में एक 20 वर्षीय लड़की की कथित रूप से जलाने की घटना को लेकर कांग्रेस विधायकों ने पटना में विधानसभा परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। लड़की की इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
वहीं, कोविड-19 के बीच आयोजित होने वाले इस सत्र में काफी कुछ नयापन देखने को मिल सकता है। वहीं, सत्र की समाप्ति के बाद नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार होने की भी पूरी संभावना है। सूत्रों ने बताया है कि जदूय, भाजपा व अन्य सहयोगी दलों के 17-18 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलवाई जा सकती है।
17वीं विधानसभा के पांच दिवसीय सत्र के पहले दो दिन सदस्यों के लिए काफी महत्वपूर्ण रहने वाले हैं।वहीं, बाकी के तीन दिनों में विधायी कार्यों को निपटाया जाएगा। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 43.2 फीसदी अर्थात 105 सदस्य ऐसे हैं, जो पहली बार विधानसभा की सदस्यता की शपथ लेंगे।
वहीं, 16वीं विधानसभा के 98 यानी कि 40.3 फीसदी सदस्य दोबारा चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं। इसके अलावा 40 सदस्य यानी कि 16.46 फीसदी ऐसे सदस्य हैं, जो अंतराल (ब्रेक) के बाद जीतकर फिर से विधानसभा पहुंचे हैं।
बिहार विधानसभा में इस बार विपक्ष की दहाड़ भी सुनने को मिलेगी, क्योंकि 110 की संख्या के साथ विपक्ष की दमदार मौजूदगी सदन में रहेगी। रोजगार से लेकर गरीबी तक के मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेरने में लगा हुआ है। वहीं, सत्तापक्ष इस बार विपक्ष के सवालों की काट के लिए तैयार दिखाई दे रहा है।
मिली जानकारी के मुताबिक, सबसे पहले उपमुख्यमंत्री शपथ लेंगे। इस बार बिहार में दो उपमुख्यमंत्री हैं। प्रोटेम स्पीकर जीतनराम मांझी तारकिशोर प्रसाद और फिर रेणु देवी को शपथ दिलाएंगे। इसके बाद सुरक्षित दूरी का पालन करते हुए नवनिर्वाचित सदस्यों को बारी-बारी से शपथ दिलवाई जाएगी।
25 नवंबर को नए विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। 26 को सेंट्रल हॉल में राज्यपाल विधानमंडल की बैठक को संबोधित करेंगे। सत्र के आखिरी दिन यानी 27 नवंबर को राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा और सरकार की ओर से जवाब दिया जाएगा। सत्र शुरू होने से एक दिन पहले जिला प्रशासन की ओर से विधानसभा में मॉक ड्रिल की गई।
नवनिर्वाचित सदस्यों को पांच भाषाओं में से किसी एक में शपथ लेने की छूट रहेगी। ये भाषाएं हैं- हिंदी, अंग्रेजी, मैथिली, उर्दू और संस्कृत। इसके लिए पांचों भाषाओं में शपथ के लिए स्क्रिप्ट तैयार की गई है। मिली जानकारी के मुताबिक, सबसे ज्यादा मांग हिंदी और मैथिली की स्क्रिप्ट के लिए है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को नए विधानसभा के पांच दिवसीय उद्घाटन सत्र के बाद अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। सूत्रों ने बताया है कि मंत्रिमंडल का विस्तार जरूरी है, क्योंकि 14-सदस्यीय मंत्रिमंडल में कई वरिष्ठ मंत्रियों को पांच-पांच विभाग तक आवंटित किए गए हैं, जिससे उन पर भार बढ़ गया है।
एनडीए के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, सत्र के समाप्त होने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। विस्तार 27 नवंबर के बाद या फिर दिसंबर के पहले सप्ताह में किसी भी दिन हो सकता है। उन्होंने कहा कि विस्तार जरूरी है, क्योंकि 16 नवंबर को सरकार के गठन के बाद मंत्रियों को पर कई अतिरिक्त विभागों का भार है।
जदयू के मेवालाल चौधरी के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल में अब कुल 14 मंत्री हैं। जदयू के पांच मंत्री, भाजपा के सात और वीआईपी और हम के एक-एक सदस्य को 16 नवंबर को शपथ दिलाई गई। सूत्रों ने बताया कि 17-18 नए मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है, जिसमें भाजपा के खाते में 10 मंत्री पद जा सकते हैं। वहीं, जदयू के खाते में सात मंत्री पद आ सकते हैं। दूसरी तरफ, वीआईपी और हम को नया मंत्री पद नहीं मिलने की संभावना है, इन्हें बाद में समायोजित किया जा सकता है।