बिटकॉइन को मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश बना साल्वाडोर, जानें करेंसी को लीगल टेंडर देने का मतलब….

नई दिल्ली: पूरी दुनिया में ये बहस चल रही है कि क्या बिटकॉइन को मंजूरी देनी चाहिए? क्या बिटक्वॉइन का इस्तेमाल आपकी किसी करेंसी की तरह हो सकता है? यानी अभी किसी भी सामान को खरीदने के लिए आप रुपये में पेमेंट करते हैं तो क्या आने वाले भविष्य में ये पेमेंट बिटकॉइन में हो सकती है? भारत में तो पता नहीं, लेकिन सेंट्रल अमेरिका के देश अल साल्वाडोर ने बिटकॉइन को अपना लिया है.

बिटकॉइन को मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश है अल साल्वाडोर

अल साल्वाडोर बिटकॉइन को कानूनी मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश बना है. पूरे देश में 200 बिटकॉइन एटीएम स्थापित किये गए हैं, जिनसे लोग अमेरिकी डॉलर के बदले बिटकॉइन ले पाएंगे. जून में अल साल्वाडोर ने एक कानून पारित किया था, जिसमें बिटकॉइन को लीगल टेंडर के रूप में स्वीकारने की बात कही थी.

करेंसी को लीगल टेंडर देने का मतलब क्या है?

किसी भी करेंसी को लीगल टेंडर देने का मतलब ये है कि वो देश उस करेंसी को मान्यता देता है. यानी उस करेंसी के माध्यम से कोई भी सामान खरीद सकते हैं.  साल 2016 में 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब नोटबंदी का ऐलान किया था तो तब उन्होंने भी लीगल टेंडर शब्द का इस्तेमाल किया था और कहा था कि 500 और हजार के नोट अब लीगल टेंडर नहीं रहेंगे. इसी तरह से अल साल्वाडोर में बिटकॉइन लीगल टेंडर हो गया है.

अल साल्वाडोर के बारे में जानकारियां

अल साल्वाडोर की अपनी कोई करेंसी नहीं है. वहां के लोग अमेरिकी डॉलर में ही लेन देन करते हैं. यहां की 25 प्रतिशत जनसंख्या अमेरिका में गुजर बसर करती है. ये लोग हर साल अपने देश में करीब 6 अरब डॉलर भेजते हैं. जिस पर कई तरह के टैक्स लगते हैं.

अब बिटकॉइन अपनाने के बाद अल साल्वाडोर को उम्मीद है कि वो हर साल इस टैक्स के 400 मिलियन डॉलर की फीस बचा पाएंगे. लेकिन इसका विरोध भी हो रहा है. पूरे देश में जनमत सर्वेक्षण हो रहे हैं और इसमें 70 प्रतिशत लोग बिटकॉइन को लीगल टेंडर देने को गलत बता रहे हैं. बिटकॉइन के उपयोग के साथ जुड़े जोखिमों को लेकर इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी आईएमएफ भी लगातार अल साल्वाडोर को चेतावनी दे रहा है.

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