नई दिल्ली: आरबीआई के बैंकों से सरप्लस कैश वापस लेने के बोल्ड स्टेप के बाद एक म्यूचुअल फंड हाउस के सीईओ ने अपने वॉट्सऐप ग्रुप के मेंबर्स को लिखा था कि कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) बढ़ाने का फैसला सही है। उन्होंने बताया था कि इससे मार्केट को स्टेबल बनाने में किस तरह मदद मिलेगी।
इसके एक दिन बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि यह कदम अस्थायी है, जिसका बॉन्ड मार्केट ने जश्न मनाया। ये लोग जानते हैं कि इकनॉमिक ग्रोथ कम होने और डिपॉजिट बढ़ने पर आरबीआई को आज नहीं तो कल ब्याज दरों में कटौती करनी पड़ेगी।
26 नवंबर को आरबीआई ने बैंकों से 16 सितंबर से 11 नवंबर के बीच सभी इंक्रीमेंटल डिपॉजिट अपने पास जमा कराने को कहा था। नोटबंदी के बाद बैंकिंग सिस्टम में कैश काफी बढ़ गया है, जिसे कम करने के लिए यह कदम उठाया गया था। रिजर्व बैंक इंटरेस्ट रेट पर फैसला 9 दिसंबर की मीटिंग में करेगा।
इकनॉमी के लिए जो बुरी खबर है, वह मार्केट के लिए खुशखबरी है। सीआरआर बढ़ने के बाद पिछले शनिवार को बॉन्ड के दाम में जो गिरावट आई थी, वह पटेल के बयान के बाद खत्म हो गई।
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच में चीफ इंडिया इकनॉमिस्ट इंद्रनील सेनगुप्ता ने बताया, ‘सीआरआर बढ़ाने के बाद रेट कट को बेमेल नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि कैश रिजर्व रेशियो में बढ़ोतरी को आखिरकार वापस लिया जाएगा। इकनॉमी अभी ठहर गई है। इसलिए हम रेट कट की उम्मीद कर रहे हैं। हम पहले भी दिसंबर में ब्याज दरों में 0.25 पर्सेंट कटौती की उम्मीद कर रहे थे। हमारा मानना है कि इस फाइनैंशल इयर के बचे हुए महीनों यानी अगले साल मार्च तक एक बार और 0.25 पर्सेंट की कटौती होगी।’ वहीं, देश के बड़े बॉन्ड हाउसों में से एक एसटीसीआई प्राइमरी डीलर के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रदीप माधव ने कहा कि अगर रिजर्व बैंक रेट में आधा पर्सेंट की भी कटौती करता है तो उन्हें हैरानी नहीं होगी।