केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी 2018 को बजट पेश करेंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट होगा। इसके अलावा, 1 जुलाई 2017 से वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद भी यह पहला बजट होगा।
अब मोदी सरकार कस्टम ड्यूटी को छोड़कर खुद से अप्रत्यक्ष टैक्स दरों में बदलाव नहीं कर सकती। इसके लिए उसे जीएसटी काउंसिल की इजाजत लेनी पड़ेगी।
वित्त मंत्री जेटली ने नवंबर में एक मीडिया समारोह में कहा था, ‘केंद्रीय बजट का मुख्य ध्यान बुनियादी ढांचे और ग्रामीण क्षेत्रों पर खर्च होगा।’
कई विश्लेषकों का कहना है कि बुनियादी ढांचे पर खर्च करने से निवेश को फिर से जीवित करने में मदद मिलेगी। ग्रामीण क्षेत्रों पर अतिरिक्त ध्यान देने से ग्रामीणों के लंबे समय से बने हुए संकट दूर करने में मदद मिलेगी।
उम्मीद जताई जा रही है कि मोदी सरकार बजट में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के उपायों की घोषणा करेगी।
आगामी बजट की संभावित रूपरेखा
1.ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च पर ध्यान
राज्य विधानसभा चुनावों से पहले देश के ग्रामीण इलाकों में राजनीतिक समर्थन को बढ़ाने के लिए मोदी सरकार बजट में खेत और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए धन आवंटन बढ़ा सकती है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले महीने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा था, ‘अगले बजट में किसानों, ग्रामीण क्षेत्र में नौकरियों और आधारभूत संरचना पर ध्यान दिया जाएगा। साथ ही वित्तीय राह में सावधानियां बरतने की सभी कोशिशें की जाएंगी।
साल 2018 और 2019 की शुरुआत में आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे, जिसके बाद 2019 में आम चुनाव होना है।