एक फरवरी को आने वाले यूनियन बजट से युवा उद्यमियों और इंडस्ट्री दोनों को ही काफी उम्मीद है। चुनावी साल में आने वाले बजट से एक उम्मीद यह भी है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली सरकार स्टार्टअप और स्टैंडअप योजना को अब नए पायदान पर लेकर जाएगी।
पेश है एक रिपोर्ट-
स्टार्ट अप को गति देना जरूरी
स्टार्ट अप शुरू करने वाले प्रवीन कुमार का कहना है कि केंद्र सरकार को स्व उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि कॉरपोरेट टैक्स को कम किया जाए। इसे घटाकर ही स्टार्ट अप इंडिया अभियान को गति दी जा सकती है। टैक्स घटेगा तो स्टार्ट अप फायदे में आएंगे। स्टार्टअप के लिए पांच साल तक का टैक्स होली-डे भी देना चाहिए। इससे स्टार्ट अप को खड़ा होने में मदद मिलेगी। रितेश श्रीवास्तव का कहना है कि कुछ जनहित के फैसले भी सरकार को लेने चाहिए। जैसे, सीनियर सिटीजंस के सेविंग बैंक खातों या बांड से होने वाली आय को कर मुक्त किया जाए। 80-सी में लाइफ इंश्योरेंस, ईपीएफ, पीपीएफ में सीमा को भी बढ़ाया जाना जरूरी है।
उद्योगों की मजबूती को लाएं आर्थिक सुधार
इंडस्ट्रिलिस्ट सूर्य प्रकाश हवेलिया का कहना है कि पिछले सालों में सरकार ने स्टार्ट अप से लेकर स्टेंड अप इंडिया जैसे प्रोजेक्ट लांच किए। इन योजनाओं से जहां नए उद्यम खड़े करने में मदद मिली। वहीं पुराने उद्योगों को भी जिंदा करने में मदद मिली। लेकिन, अभी खराब माली हालत से गुजर रहे उद्योगों को उबारने के लिए नीति बनाकर काम करने की जरूरत है। अभी भी यूपी जैसे राज्यों में उद्योगों की हालत ठीक नहीं हैं। प्रशिक्षित श्रमिकों की कमी से लेकर बेहतर मार्के ट, ट्रांसपोर्ट की सुविधा की कमी से उद्योग जूझ रहे हैं। इसके लिए आर्थिक सुधार और इंफ्रास्ट्रक्चर दोनों ही उद्यमों के लिए देने होंगे।
निर्यात के लिए स्थितियां बेहतर की जाएं
इंडस्ट्री से जुड़ी पूजा गुप्ता और सुरेंद्र मेहता का कहना है कि बड़ी संख्या में उद्यमी यूपी जैसे राज्यों से अपने उत्पाद निर्यात भी करते हैं। निर्यात के समय बड़ी समस्या ट्रांसपोर्ट करने और कस्टम ड्यूटी के रूप में होती है। कई बार माल लंबे समय तक पोर्ट या लॉजिस्टिक हब पर पड़ा रहता है। शिकायत करने केबाद भी माल को आगे नहीं भेजा जा सकता है। माल भेजने में देरी या उसके खराब होने पर खामियाजा उद्यमी को ही भुगतना होता है। इससे क्लाइंट की निगाह में उद्यमी की छवि भी खराब होती है। केंद्र सरकार को चाहिए कि निर्यात के लिए बेहतर इंफ्रा दिया जाए। इसके अलावा निर्यात को बढ़ावा देने वाली नीतियों को भी लेकर सरकार आए।
जीएसटी के बाद भी टैक्स रिफॉर्म की जरूरत
– इंडस्ट्रिलिस्ट शैलेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि जैसे नोटबंदी से पहले आईडीएस जैसी स्कीम आई थी तब भारतव्यापी जीएसटी लागू करने से पहले या अब सारे इनडायरेक्ट टैक्स के लिए वन टाइम एमनेस्टी स्कीम क्यों नही लाए? इसे लाया जाना चाहिए था। जब तक पुरानी प्रक्रिया को क्लीन एग्जिट नही देंगे जीएसटी को अडॉप्ट करने में समस्या होगी। ऐसे ही इनकम टैक्स में एक प्रीजम्टिव स्कीम है जिसके तहत 2 करोड़ तक टर्नओवर में व्यापारी 8 प्रतिशत लाभ घोषित कर उस पर आने वाला आयकर भर सकता है। कम जीएसटी वाले पे कम आयकर का दर और ज्यादा पर ज्यादा। इसको लागू करने के बाद सैलरी पे आयकर खत्म ही कर देनी चाहिए।
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