अनुभा की दस वर्षीया बेटी रचिता मोटापे से ग्रस्त है, पर उन्हें समझ नहीं आता कि किस तरह वह अपनी बेटी को वजन पर नियंत्रण के लिए प्रेरित करें।
यहां समस्या सिर्फ बेटी का बढ़ा हुआ वजन नहीं हैं। अनुभा को यह महसूस होता है कि मोटापे की वजह से उसके संपूर्ण स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। आउटडोर गेम्स में बेटी जरा भी रुचि नहीं दिखाती, क्योंकि उसे थकान जल्दी हो जाती है। स्कूल के बच्चे भी मोटापे को लेकर उसे चिढ़ाते हैं, जिससे रचिता का आत्मविश्वास कमजोर होने लगा है। अनुभा ने जब भी रचिता को वजन पर नियंत्रण के लिए समझाना चाहा तो उसके पापा ने यह कहकर शांत करवा दिया कि अभी तो उसके खेलने और खाने के दिन हैं। उम्र बढ़ने के साथ बेटी स्वयं समझ जाएगी कि वजन पर नियंत्रण करना कितना जरूरी है। हालांकि इससे अनुभा की चिंताएं समाप्त नहींहुईं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह कैसे इस समस्या को हल करें।