पश्चिम बंगाल के भांगर में प्रस्तावित विद्युत ग्रिड परियोजना के खिलाफ चल रहा विरोध प्रदर्शन ने मंगलवार को हिंसक रूप अख्तियार कर लिया। इस दौरान पुलिस और ग्रामीणों के बीच जमकर झड़प हुई। पुलिस द्वारा सोमवार रात की गई प्रताड़ना के विरोधस्वरूप लगभग 10000 ग्रामीण लाठी-डंडे के साथ जमा हो गए और उन्होंने गांव की ओर जाने वाले मार्ग को विभिन्न स्थानों पर पेड़ की शाखाएं गिराकर जाम कर दिया।
राजनीतिक हिंसा के अपने इतिहास के लिए कुख्यात भांगर पिछले सप्ताह राज्य सरकार द्वारा 16 एकड़ कृषि भूमि जबरन अधिग्रहित किए जाने के बाद से उबल रहा है। यह कृषि भूमि भांगर 2 ब्लॉक के खमरैत, माछी भांगा, टोना और पदमपुकुर गांवों में फैली हुई है। यह जमीन पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) के लिए अधिग्रहीत की गई है।
मंगलवार को हथिराबंद ग्रामीणों ने निर्माणाधीन पॉवर ग्रिड के पास तैनात पुलिसकर्मियों को घेर लिया और उन्हें गांव से चले जाने को कहा। उसके बाद पुलिस ने इलाके पर नियंत्रण करने के लिए प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े।
प्रदर्शनकारियों ने त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) और पुलिस पर ग्रामीणों को आतंकित करने और रात के अंधेरे में उनके घरों में घुसने का भी आरोप लगाया।
माछी भांगा गांव के एक निवासी ने कहा, “आरएएफ और पुलिस बेरहमी से हमें पीट रही है। वे हमें आतंकित करने की कोशिश कर रहे हैं। यहां तक कि महिलाओं और बच्चों तक को नहीं बख्शा जा रहा है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “सरकार कह रही है कि हमारे गांव में पावर ग्रिड बनाने की योजना रद्द कर दी गई है, लेकिन निर्माण कार्य फिर क्यों जारी है? बिजली मंत्री को यहां आकर परियोजना रद्द किए जाने की घोषणा करनी होगी।”
राज्य के बिजली मंत्री चटर्जी ने हालांकि मंगलवार अपराह्न् कहा कि उन्होंने पावर ग्रिड का काम रोकने का आदेश दे दिया है और उन्होंने गांवों में बाहर के लोगों द्वारा हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।
चटर्जी ने कहा, “पावर ग्रिड का निर्माण कार्य फिलहाल रोक दिया गया है। लेकिन ग्रामीणों का एक गुट अभी भी प्रदर्शन कर रहा है। ऐसा लगता है कि प्रदर्शनकारियों का कोई और मकसद है। वहां बाहरी लोग और अन्य राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता हैं, जो हिंसा भड़का रहे हैं।”
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