बंगलूरू के एक अस्पताल में पूनम नाम की महिला पिछले पांच सालों से अस्पताल में भर्ती है। पेट में दर्द की जांच के लिए उनको अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। आज उन्हें अस्पताल में भर्ती हुए करीब 1,922 दिन (31 जनवरी, 2021 तक) हो चुके हैं। अभी भी पूनम के अस्पताल से डिस्चार्ज होने या उनकी सेहत सही होने के ज्यादा आसार नहीं हैं। पूनम फिलहाल कोमा में हैं।
यह शायद अस्पताल में इलाज की भारत की सबसे लंबी कहानियों में से एक है। उनके इलाज का बिल अब तक छह करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। पूनम की मेडिकल समरी करीब 11 पेजों की है। इस समरी में लगभग 20 से ज्यादा डॉक्टर्स के नाम है जिन्होंने पूनम का पिछले पांच सालों में इलाज किया है। पूनम के इलाज का बिल भी करीब चार पेजों का है। परिजन इस मामले में अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। हालांकि सवाल है कि ऐसा क्या हुआ, जो पूनम अब तक घर नहीं लौट सकी हैं?
हमेशा खुश रहने वाली 33 साल की पूनम कभी एक्सेंचर कंपनी के साथ बिजनेस रिपोर्टिंग एनालिस्ट के तौर पर काम करती थीं। आज वे मुश्किल से हिल और बोल पाती हैं। पूनम मस्तिष्क की शिथिलता की एक पुरानी स्थिति में हैं, जिसमें कोई व्यक्ति जागरूकता के कोई संकेत नहीं दिखाता है । डॉक्टरों ने कथित रूप से पांच साल पहले ही परिवार को ‘शरीर घर ले जाने’ के लिए कह दिया था। हालांकि, परिवार को उम्मीद है कि अगर सही तरीके से इलाज किया गया, तो पूनम घर लौट सकती हैं। परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस और सरकार के सामने शिकायत दर्ज कराने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली है।
पूनम के परिवार वालों ने पूनम की हालत के लिए अस्पताल को दोषी ठहराया है। उनके पति राजेश नायर पूनम की हालत को लेकर अस्पताल को जिम्मेदार मानते हैं। पूनम के पति का कहना है कि तीन अक्तूबर 2015 को पूनम पेट में दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल में गई थी और आज पांच साल बाद उसकी हालत क्या है?
पूनम के पति राजेश नायर पत्नी की देखभाल के लिए आईएमबी और माइक्रोसॉफ्ट की जॉब छोड़ चुके हैं। पूनम का परिवार पूनम के इलाज के लिए अब तक 1.34 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उनके पति का कहना है की पूनम की सेहत बिल्कुल सही थी। पूनम पेट में दर्द की शिकायत को लेकर अस्पताल में गई थी। डॉक्टरों ने आंत में रिसाव को रोकने के लिए उनकी सर्जरी की। उसी दौरान डॉक्टर्स से कुछ गलत हो गया जिसकी वजह से पूनम की आज ऐसी हालत है। जैसी ही अस्पताल वालों को पता चला की वह गलत केस में फंस गए हैं उन्होंने पूनम की गलत मेडिकल समरी बनानी शुरू कर दी, जिनमें दावा किया गया है कि पूनम जब अस्पताल में आई थी तब वह गंभीर अवस्था में थी। अक्तूबर 2015 में अस्पताल ने हमें बताया कि पूनम तीन हफ्तों से ज्यादा जिंदा नहीं रहेगी, लेकिन पूनम ने हिम्मत से लड़ाई लड़ी और हर बार अस्पताल के दावों को गलत साबित किया। शुरुआत में वह कोमा से बाहर भी आई।
पूनम के पति राजेश नायर ने बताया कि पूनम कोमा से बाहर आ रही थी। उसकी चेतना लगातार बढ़ रही थी। अब वह वेंटिलेटर-सपोर्ट से सही तरह से सांस ले रही थी। हमे उम्मीद मिल गई थी की अब वह जल्द वेंटिलेटर-सपोर्ट से बाहर आ सकती है। लेकिन अचानक ही अस्पताल ने उन दवाओं को बंद कर दिया जिससे उसकी सेहत में सुधार हुआ था। उसकी सेहत फिर खराब होने लगी। तभी से उसे कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
नायर ने कहा कि पूनम की सेहत को सही करने की अस्पताल की तरफ से कोई कोशिश नहीं की गई। डॉक्टरों ने उसे पांच साल पहले बता दिया था कि वह जिंदा नहीं बचेगी लेकिन वह अभी भी जिंदा है। अभी पूनम की जो सेहत है उसे अस्पताल के इलाज की जरूरत है हम उसका घर पर इलाज नहीं कर सकते हैं। पूनम के पिता पूर्व सैनिक हैं। वह पिछले पांच सालो से हर रोज अस्पताल में अपनी बेटी को देखने के लिए आ रहे हैं।