फ्रांसीसी लग्जरी ग्रुप ने बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद में हिस्सेदारी लेने में दिखाई दिलचस्पी

फ्रांसीसी लग्जरी ग्रुप ने बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद में हिस्सेदारी लेने में दिखाई दिलचस्पी

फ्रांसीसी लग्जरी ग्रुप LVMH ने बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद में हिस्सेदारी लेने में दिलचस्पी दिखाई है। एल कैटर्टन एशिया के मैनेजिंग पार्टनर रवि ठाकरान ने ईटी से बातचीत में कहा, ‘हम अगर कोई मॉडल ढूंढ पाएं तो उनके साथ जरूर बिजनस करना चाहेंगे।’ हालांकि उन्होंने कहा, ‘उनके मॉडल में मल्टिनैशनल और फॉरन इन्वेस्टमेंट की गुंजाइश नहीं है, ऐसा मुझे लगता है।’फ्रांसीसी लग्जरी ग्रुप ने बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद में हिस्सेदारी लेने में दिखाई दिलचस्पी

LVMH की हिस्सेदारी वाला एल कैटर्टन प्राइवेट इक्विटी फंड अपने एशिया फंड में बची रकम के आधे यानी 50 करोड़ डॉलर (करीब तीन हजार करोड़) से पतंजलि में हिस्सेदारी खरीदने को तैयार है। पतंजलि पिछले कुछ वर्षों में देश की बड़ी एफएमसीजी कंपनियों में शामिल हो गई है। उसने हिंदुस्तान यूनिलीवर, कोलगेट पामोलिव और डाबर जैसी ग्लोबल और लोकल कंपनियों को अपने आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट पोर्टफोलियो को विस्तार देने पर मजबूर कर दिया है। 

ठाकरान ने ईटी को बताया, ‘पतंजलि ग्लोबल कंपनी बन सकती है।’ उन्होंने कहा कि पतंजलि अपने प्रॉडक्ट्स अमेरिका, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया और यूरोप में भी बेच सकती है और एल कैटर्टन इसमें उसकी मदद करेगी। कंपनी में स्टेक लेना शायद संभव ना हो, लेकिन पतंजलि फंडिंग की तलाश में है। रामदेव ने खुद को एंटी-मल्टीनेशनल बिजनसमैन के तौर पर स्थापित किया है। वह स्वदेशी के हिमायत हैं और कुछ साल में उनकी कंपनी काफी बड़ी हो गई है। 

पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हम कंपनी में हिस्सेदारी नहीं बेचना चाहते। उन्होंने कहा कि पतंजलि भारतीय करंसी में 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेना चाहती है। बालकृष्ण ने कहा कि कंपनी को बैंकों से कम रेट पर कर्ज मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इसके लिए यूबीएस ने कई विदेशी निवेशकों के साथ मीटिंग फिक्स की है। बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि में हिस्सेदारी नहीं बेची जाएगी। इसके बावजूद उन्होंने कहा कि वह एल कैटर्टन से बात करने को तैयार हैं। 

बालकृष्ण ने कहा, ‘दुनिया एक दूसरे की मदद करने से चलती है। हम अपनी शर्तों पर किसी तरह की मदद लेने को तैयार हैं। हम इक्विटी या शेयर बेचकर पैसा नहीं लेंगे, लेकिन जब देश तरक्की के लिए विदेशी तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है और अगर विदेशी पैसा आता है तो हम अपनी शर्तों पर उसे स्वीकार करने को तैयार हैं।’ ठाकरन के मुताबिक पतंजलि की वैल्यू अभी 5 अरब डॉलर है। उन्होंने कहा कि हम कंपनी को भारत से बाहर ब्रांड क्रिएट करने में मदद करना चाहते हैं।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com