अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है. इसका असर देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने के तौर पर नजर आ रहा है. पिछले एक महीने के भीतर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 1.50 रुपये से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है. कच्चे तेल की कीमतों की वजह से आम आदमी पर पड़ रहे बोझ को लेकर सरकार से फिलहाल राहत की उम्मीद कम है.
‘देखो, क्या हो सकता है’
एक कार्यक्रम में पहुंचे ऑयल मिनिस्टर धर्मेंद्र ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से आम आदमी को राहत देने को लेकर सिर्फ इतना ही कहा, ‘देखिये, क्या हो सकता है.’ ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र सरकार की तरफ से पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत मिलने की उम्मीद कम है.
ये हैं मौजूदा कीमत
शुक्रवार को दिल्ली में जहां एक लीटर पेट्रोल 69.85 रुपये पर है, तो वहीं, डीजल भी 58.31 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है. कच्चे तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई हैं. इसका सीधा असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ रहा है. जिसकी वजह से दिन-ब-दिन इनकी कीमतों में इजाफा हो रहा है.
राज्यों के पाले में जा सकती है गेंद
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में फिलहाल सरकार से राहत मिलने की उम्मीद कम ही है. इसकी एक वजह यह भी है कि हाल में केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी घटाई थी. ऐसे में केंद्र सरकार गेंद राज्यों के पाले में डाल सकती है.
वैट घटाने को लेकर बढ़ सकता है दबाव
केंद्र सरकार के 5 फीसदी वैट घटाने की अपील करने के बाद अभी तक कुछ ही राज्यों ने वैट घटाया है. पेट्रोल-डीजल की कीमतें अगर यूं ही बढ़ती रही, तो राज्यों पर वैट घटाने को लेकर दबाव बढ़ सकता है. अगर महाराष्ट्र और गुजरात समेत अन्य राज्यों में भी वैट से राहत मिलती है, तो पेट्रोल-डीजल की कीमतो की मार कम हो सकती है.
डेली प्राइसिंग बन रही मुसीबत
2016 में मोदी सरकार ने जब रोजाना पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय करने का फैसला लिया था, तब कहा गया था कि इससे कीमतें घटेंगी और आम आदमी को राहत मिलेगी, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा. पहले कच्चे तेल की कीमतों का असर आम लोगों पर 15 दिनों के बाद पड़ता था. अब हर दिन कच्चे तेल की कीमतों में आ रहे बदलाव का असर देखने को मिल रहा है.
क्या जीएसटी है आखिरी रास्ता?
ऑयल मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समेत कई लोग पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने की मांग उठा चुके हैं. ऐसे में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत दिलाने के लिए सरकार इसे जीएसटी के तहत लाने पर भी विचार कर सकती है.