पीएम मोदी (PM Modi) से उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में आज मंगलवार को मुलाकात की। दोनों नेतओं के बीच उत्तराखंड में समान नागरिक कानून (यूसीसी) लागू करने की दिशा में कदम उठाने सहित कई मुद्दों पर बातचीत हुई है। सीएम धामी ने कहा कि यूसीसी हड़बड़ी में उत्तराखंड में लागू नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड वाला यूसीसी देशभर में एक मिसाल बनेगा। सीएम धामी का कहना था कि बाकि राज्यों को भी पहल करते हुए अपने–अपने प्रदेशों में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए कदम उठाने चाहिए। धामी ने कहा कि कमेटी ने अभी तक यूसीसी का ड्राफ्ट सरकार को नहीं सौंपा है। ड्राफ्ट मिलने के बाद सरकार इस ओर विधिक राय लेकर आगे कदम उठाएगी।
सीएम धामी ने यूसीसी के बारे में कोई सीधा संदर्भ नहीं देते हुए कांवड़ यात्रा की तैयारी से उन्हें अवगत कराया था। विदित हो कि पिछले हफ्ते धामी ने कहा था कि उत्तराखंड इस विषय काम करने वाली विशेषज्ञ समिति से रिपोर्ट मिलते ही यूसीसी पर काम करेगी। उनकी यह टिप्पणी न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता में राज्य द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद आई, जिन्होंने कहा था कि राज्य के लिए यूसीसी पर मसौदा रिपोर्ट तैयार है।
ड्राफ्ट को मुद्रण के लिए भेजा गया है। विदित हो कि 2022 में राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने घोषणापत्र में यूसीसी लाने का वादा किया था। आपको बता दें कि इससे पहले सीए धामी ने पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात थी। दोनों नेताओं के बीच भी यूसीसी पर बातचीत हुई थी।
उत्तराखंड में गुड गवर्नेंस और विभिन्न विकास परियोजनों की दी जानकारी
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि प्रधानमंत्री जी के निर्देश के क्रम में राज्य सरकार द्वारा सचिव मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 04 सदस्य टीम द्वारा गुजरात के गुड गवर्नेंस मॉडल का अध्ययन किया गया। इससे प्रेरणा पाते हुये राज्य में गुजरात के स्वागत मॉडल की तरह सीएम शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत किया गया।
अब हर किसी शिकायत को एंड टू एंड डिजिटलीकरण किया गया है। जिससे हर शिकायत की मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा की जा रही है। शिकायतों के निवारण की गुणवत्ता को परखने हेतु स्वयं मुख्यमंत्री द्वारा 10 परिवादियों से सीधे वार्तालाप की जा रही है। इसी के तहत 1095 हेल्पलाइन के तहत 24 घंटे कॉल सेन्टर स्थापित किये गये है।
हरियाणा की तर्ज पर राज्य सरकार द्वारा भी परिवार पहचान पत्र बनाया जा रहा है। उत्तराखण्ड का परिवार पहचान पत्र का डेटा डायनेमिक डेटा होगा, जो न केवल विभिन्न लाभपरक योजनाओं के लाभार्थियों को चयन करने में मदद करेगा बल्कि विभिन्न योजनाओं को निर्माण करने में सही सूचना उपलब्ध करायेगा।
भारत सरकार की तर्ज पर राज्य सरकार द्वारा भी अनुपयोगी अधिनियमों को बदला जा रहा है। आतिथि तक लगभग 1250 ऐसे अधिनियमों का चिन्हित किया गया है एवं लगभग 250 अधिनियमों को single repeal act के माध्यम से विलोपित किया जा रहा है।