प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के अगले ही दिन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), पंजाब नैशनल बैंक और यूनियन बैंक ने अपने लोन सस्ते कर दिए।शनिवार को देश के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने बैंकों से कहा था कि वे गरीबों और लोअर मिडल क्लास को लोन देने में खास ध्यान दें।
एसबीआई ने बेंचमार्क लेंडिंग रेट में 0.9 फीसदी तक की कटौती का ऐलान किया। नई दरें रविवार से लागू हो गईं। इस रेट कट के बाद बैंक का एक साल का मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) 8.90 से घटकर 8 फीसदी के स्तर पर आ गया है। पीएनबी ने भी एक साल के एमसीएलआर में 0.7 फीसदी की कटौती की है। अब यह 8.45 फीसदी होगा।
इसके अलावा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने एमसीएलआर को 0.65 फीसदी घटाकर 8.65 फीसदी कर दिया है। माना जा रहा है कि बाकी बैंक भी ऐसे कदम उठा सकते हैं।एसबीआई की ब्याज दर 10 साल में सबसे कम हो गई है। ऐसे में दूसरे बैंकों को भी मार्केट शेयर बचाने के लिए ब्याज दरों में कटौती करनी पड़ेगी।
नए रेट्स का फायदा नए ग्राहकों को मिलेगा, जबकि पुराने कस्टमर्स लॉक इन पीरियड खत्म होने के बाद नए एमसीएलआर रेट पर शिफ्ट हो सकते हैं। लॉक इन पीरियड लोन एग्रीमेंट के हिसाब से एक महीने से तीन साल तक का हो सकता है।
बैंक अधिकारियों का कहना है कि देश की सबसे बड़ी होम लोन कंपनी एचडीएफसी, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक भी एसबीआई से मुकाबले के लिए ब्याज दरों में कटौती करेंगे। आईडीबीआई बैंक और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर ने पिछले शुक्रवार को ब्याज दरों में कटौती करके इस सिलसिले की शुरुआत की थी।
सरकार बैंकों पर ब्याज दरों में कटौती के लिए दबाव डाल रही है। केंद्र का मानना है कि रेट कम होने से कंजम्पशन को बढ़ावा मिलेगा, जिसमें 8 नवंबर से शुरू हुई नोटबंदी के चलते काफी गिरावट आई है। लोन सस्ता होने से इनवेस्टमेंट सेंटीमेंट भी मजबूत होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकों से अपील की थी कि वे नोटबंदी के बाद बढ़े डिपॉजिट का फायदा उठाएं। उन्होंने 31 दिसंबर को राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहा था, ‘इतिहास गवाह है कि भारतीय बैंकिंग सिस्टम में इससे पहले इतने कम समय में इतना अधिक फंड कभी नहीं आया था। बैंकों की ऑटोनॉमी का सम्मान करते हुए मैं उनसे ट्रेडिशनल प्रायरिटी से आगे देखने की अपील करता हूं। वे गरीब, लोअर मिडल क्लास और मिडल क्लास पर फोकस करें।’ 2008 के आर्थिक संकट के बाद एक बार में बैंकों ने इतना ज्यादा रेट कभी कम नहीं किया था। आरबीआई के पॉलिसी रेट कम करने और फंडिंग रेट में गिरावट की वजह से वे 0.05-0.10 पर्सेंट की कमी ब्याज दरों में कर रहे थे।