एनएचएम में भर्तियों पर सवाल उठे तो महिला एवं बाल विकास मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने इसपर सफाई दी और बोलीं, हम फिर भर्तियां निकालने जा रहे हैं और इस बार भर्तियां अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से होंगी। यही नहीं, कैबिनेट ने भी नगर विकास विभाग की केंद्रीयत सेवा के कर्मचारियों की भर्ती अब अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से कराने का फैसला लिया है। सरकार कह तो रही है कि भर्ती अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से होंगी, लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि आयोग है कहां? अबतक न तो आयोग के सदस्य हैं और न ही अध्यक्ष।हाल ही में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह साल युवाओं के लिए होगा और इसमें सरकार चार लाख भर्तियां निकालेगी। हालांकि भर्तियां कैसे होंगी, जबकि चयन करने वाला आयोग ही नहीं है। सरकार बने हुए 9 महीने से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन अब तक न तो अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन हो पाया है और न ही माध्यमिक सेवा चयन आयोग। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का गठन हुआ है।
नतीजा यह है कि नौकरियों की तलाश में युवा भटक रहे हैं और आयोग के बिना भर्तियां नहीं हो पा रहीं। मौजूदा सरकार के आने के बाद मई में तत्कालीन अध्यक्ष राजकिशोर यादव ने इस्तीफा दे दिया था। तब से आयोग भंग है। न तो अब तक सदस्यों का चयन हो सका है और न ही अध्यक्ष का। भंग होने से पहले जिन पदों पर भर्तियां चल रही थीं, वह भी रुक गई हैं।
सूत्रों के मुताबिक जिस समय आयोग भंग हुआ उस दौरान अलग-अलग विभागों में तकरीबन 11 हजार पदों परभर्ती की प्रक्रिया चल रही थी। 9 महीने में आयोग तक गठित न हो पाने से युवाओं को तो रोजगार में दिक्कत है ही, अधिकारियों-कर्मचारियों की कमी से सरकारी काम भी प्रभावित हो रहा है।
सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों व प्रधानाचार्यों की भर्ती करने वाली संस्था उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का गठन अब तक सरकार नहीं कर पाई है। एलटी ग्रेड मोर्चा समेत अन्य संगठन इसके लिए आंदोलनरत हैं। शिक्षा को लेकर सरकार के दावे हैं, लेकिन जब शिक्षकों के पद ही खाली होंगे तो शिक्षा का हाल आसानी से समझा जा सकता है। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री डॉ़ आरपी मिश्र के मुताबिक तकरीबन 40 हजार पद शिक्षकों के खाली हैं।
हालांकि सरकार रिक्तियों की संख्या 26 हजार के करीब मान रही है। एलटी ग्रेड मोर्चा ने 17 जनवरी तक बोर्ड गठित न होने पर आमरण अनशन की चेतावनी दी है। यही हाल उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का भी है। यहां भी प्रभात मित्तल के इस्तीफा देने के बाद से आयोग भंग है। तमाम अनुदान वाले कॉलेजों में शिक्षकों के पद खाली हैं और भर्तियां रुकी हैं।