नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले के बाद कुछ लोग फैसले के समर्थन में दिखे थे तो कुछ इससे नाराज। विपक्ष ने भी पीएम के फैसले को गलत बताया था। लेकिन अब यह बात साफ हो गई है कि पीएम मोदी का नोटबंदी का फैसला बिल्कुल सही था। नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को लगे तगड़े झटकों के बावजूद इस वित्त वर्ष भारत विदेशी निवेश के मामले में नए रेकॉर्ड बनाने के करीब है।
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विदेशी निवेश के मामले में वैश्विक रूप से पिछला साल सही नहीं रहा था और दुनियाभर में हुए विदेश निवेश में करीब 16 प्रतिशत की कमी आई थी वहीं भारत ऐसे माहौल में भी आर्थिक स्थिरता की ओर बढ़ता दिख रहा है। भारत में अप्रैल-दिसंबर के बीच विदेशी निवेश पिछले साल के मुकाबले 22 प्रतिशत बढ़ कर 35.8 बिलियन डॉलर (करीब 2.4 लाख करोड़ रुपए) पहुंच चुका है। यह तब है जब इस वित्त वर्ष में 3 महीने के आंकड़े नहीं जुडे़ हैं। सरकार को उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष विदेशी निवेश पिछले साल के 40 बिलियन डॉलर के आंकडे़ को पार कर नया रेकॉर्ड बनाएगा।
अगर एफडीआई के आंकड़े में असमावेशित कंपनियों में किए गए निवेश को भी जोड़ दें तो अब तक कुल एफडीआई 48 बिलियन डॉलर के करीब है। पिछले वित्त वर्ष यह 55.5 बिलियन डॉलर था। विदेशी निवेश में सबसे बड़ा हिस्सा सर्विस सेक्टर का है जिसका योगदान करीब 18 प्रतिशत है। इसके अलावा निर्माण विकास, टेलिक्युनिकेशन्स, कंप्यूटर हार्डवेयर और ऑटोमोबाइल सेक्टरों में भी भारी विदेशी निवेश हुआ है।
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