
तभी से वहां इलाज चल रहा था। वह 45 हजार रुपये अस्पताल में जमा कर चुका था। बाकी रुपये खुले या नए नोट के लिए वह बैंकों के चक्कर लगाता रहा मगर उसे नए नोट नहीं मिले। बाद में किसी तरह इंतजाम कर दस हजार रुपये और जमा कराए।
अस्पताल वालों ने बचे भुगतान के लिए पुराने नोट लेने से इंकार कर दिया। रुपयों का इंतजाम नहीं हुआ तो तीन दिसंबर को रवेंद्र को अस्पताल से बाहर निकाल दिया। परिजन मेडिकल कालेज भी लेकर गए। वहां से भी दो दिन पहले डिस्चार्ज कर दिया गया। बुधवार को रवेंद्र की मौत हो गई