नर्सरी एडमिशन को लेकर हाई कोर्ट ने अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री और HRD को नोटिस जारी किया है।
हाई कोर्ट जानना चाहता है कि डीडीए ने प्राइवेट स्कूलों को किस आधार पर जमीन दी थी और उनमें से किन शर्तों का पालन जरुरी या अनिवार्य है।
हाई कोर्ट जानना चाहता है कि डीडीए लैंड पर बने स्कूलों के लिए एजुकेशन पालिसी क्या है और क्या सभी स्कूलों के लिए नर्सरी एडमिशन करने के लिए नेबरहुड क्राइटेरिया का पालन करना जरुरी है. हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के नर्सरी एडमिशन को लेकर जारी किये गए नोटिफिकेशन पर सवाल उठाए हैं. प्राइवेट स्कूलों ने कहा कि हमारे और अभिभावकों के मूलभूत अधिकारों का हनन हो रहा है।
हाई कोर्ट ने एलएनडीओ से भी पूछा कि डीडीए की प्राइवेट स्कूलों को दी गयी जमीन को लेकर कोर्ट में उसका अपना क्या स्टैंड है. कोर्ट ये जानना चाहता है कि स्कूलों को मिली जमीन को लेकर सरकारी क्या रूल रेगुलेशन है और स्कूलों के लिए उनमे से कितनों का पालन करना अनिवार्य है।
नर्सरी एडमिशन पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि क्या दिल्ली सरकार का नोटिफिकेशन कई खामियों वाला है और साथ ही खुद दिल्ली एजुकेशन एक्ट का उल्लंघन है. साथ ही ये नोटिफिकेशन गांगुली कमेटी की सिफारिशों के भी खिलाफ है।
किसी भी अभिभावक को एक किलोमीटर के अन्दर आने वाले स्कूल में ही एडमिशन के लिए बाध्य किया जा सकता. ये अभिभावक का मूलभूल अधिकार है कि वो ये तय करें कि वो किस तरह के स्कूल में अपने बच्चे को डालना चाहते हैं. इसको लेकर कोर्ट पहले भी कुछ आदेश दे चुका है।
प्राइवेट स्कूल की एक्शन कमेटी ने कहा कि उदाहरण के लिए ज्यादातर बड़े और नामी स्कूल वसंत कुंज के इलाके में हैं. ऐसे में क्या इन बेहतर स्कूलों में सिर्फ उन्हीं बच्चों को नर्सरी में एडमिशन मिलना चाहिए जो कि 1 किलोमीटर के दायरे में रहते हैं। क्या ये बाकी के दिल्ली के बच्चों के साथ नाइंसाफी नहीं होगीं. प्राइवेट स्कूलों मे अच्छी शिक्षा का अधिकार किसी भी अभिभावक से कैसे छिना जा सकता है।
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