
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार की कोशिश है कि सड़कों के लिहाज से यूपी को देश के शीर्ष राज्यों में शामिल कराया जाए। इसी उद्देश्य से ‘सड़क निर्माण में नई तकनीक’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि एवं केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी करेंगे जबकि मुख्यमंत्री योगी कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। कार्यशाला का समापन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे।
बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में होनी वाली इस कार्यशाला में सड़क निर्माण की नवीनतम तकनीक पर मंथन होगा। यहां मिले सुझावों व जानकारी का इस्तेमाल कर प्रदेश की सड़कों को बेहतर बनाया जाएगा। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कार्यशाला में पहले दिन पांच तकनीकी सत्र होंगे। इसमें आईआईटी कानपुर, दिल्ली, बीएचयू, रुड़की, खड़गपुर, मुंबई के अलावा केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) के अलावा नीदरलैंड, जर्मनी व इंग्लैंड के विशेषज्ञ भाग लेंगे। कई प्रदेशों के लोक निर्माण मंत्री और इंजीनियर भी अपने यहां इस्तेमाल हो रही तकनीक साझा करेंगे।
यूपी में उपयोग हो रही तकनीक की देंगे जानकारी
कार्यशाला में यूपी लोनिवि के अधिकारी प्रदेश में नई तकनीक से बन रही सड़कों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस समय प्रदेश में कुल 15 सड़कों के निर्माण में नई तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। कार्यशाला में आने वाले विशेषज्ञों को नई तकनीक से बन रही सड़कें दिखाई भी जाएंगी।
अभी इस तकनीक से बन रहीं सड़कें
लोनिवि के विभागाध्यक्ष वीके सिंह के मुताबिक इस समय प्रदेश में 15 सड़कों का निर्माण ‘स्टेबलाइजेशन ऑफ ग्रेनुलर लेयर’ तकनीक से कराया जा रहा है। इस तकनीक से सड़क बनाने में गिट्टी व पत्थर की मात्रा को कम करके भी मजबूत सड़क का निर्माण किया जा सकता है।इस तकनीक में पत्थर, गिट्टी व मिट्टी की सतह को सीमेंट, बिटुमिन व इमल्शन से ‘स्टेबलाइज्ड’ किया जाता है। इसके अलावा पहले की बनाई गई सड़क के काली सतह को रिसाइकिल करके उसी मैटेरियल का उपयोग किया जाता है। इससे सड़क की मोटाई कम हो जाती है। जिससे लागत में करीब 30 प्रतिशत तक और पत्थर व गिट्टी का खपत में भी करीब 27 प्रतिशत की कमी आती है। खास बात यह है कि इस तकनीक से बनी सड़क पहले की तकनीक से कम मोटी होने के बाद भी अधिक दिन तक खराब नहीं होती है।
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