हिंदुस्तान की सबसे बड़ी अदालत ने सबसे बड़े मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा है कि अब हिंदुस्तान में कोई भी चुनाव धर्म और जाति के नाम पर नहीं लड़े जाएंगे। कोर्ट ने कहा है कि जो भी उम्मीदवार धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगता नजर आएगा। उसे जेल भेज दिया जाएगा।
कोर्ट ने धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगने को पूरी तरह गैर कानूनी बताया है।
जनप्रतिनिधि कानून की धारा 123 (3) में ‘‘राष्ट्रीय प्रतीक” और ‘‘राष्ट्रीय चिन्ह” शब्दों का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि किसी को चुनावों में वोट हासिल करने के लिए उनके प्रयोग की अनुमति नहीं हो सकती।
पीठ ने सवाल किया, ‘‘कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय चिन्ह के आधार पर वोट मांग सकता है और कह सकता है कि लोग सीमा पर मर रहे हैं और इसलिए किसी खास पार्टी के लिए वोट कीजिए। क्या इसे अनुमति दी जा सकती है?”
वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा, ‘‘यह इस प्रावधान में विशेष रुप से वर्जित है। ” सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि संसद ‘‘अलगाववादी और सांप्रदायिक” प्रवृत्तियों पर काबू पाने के लिए चुनाव संबंधी कानून में ‘‘भ्रष्ट क्रियाकलाप” शब्द के दायरे को जानबूझकर ‘‘बढाया” है।
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