स्वाइन फ्लू के कहर के कारण इस साल अब तक देश में 600 लोगों की मौत हो चुकी है और 12,500 मामले सामने आए हैं. सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में सबसे ज़्यादा स्वाइन फ्लू का खतरा फैला है जहां अब तक 284 मौतें हो चुकी हैं वही गुजरात में 75, केरला में 63 और राजस्थान में 59.
दिल्ली में 9 जुलाई तक स्वाइन फ्लू के 241 मामले पॉजिटिव निकले है और 4 लोगों की मौत बताई जा रही है लेकिन डॉक्टर के मुताबिक लोगों के मरने की संख्या ज्यादा हो सकती है.
हेल्थ सर्विसेज के डायरेक्टर जनरल डॉ. जगदीश प्रसाद का कहना है कि हॉस्पिटल में लोग देर से इलाज करवाने आते हैं जिसके कारण मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. अगर स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखने पर ही टैमीफ्लू दवाई मरीजों को दी जाए तो बहुत से लोगों की जान बच सकती है.
डॉक्टरों के मुताबिक, H1N1, वायरस जिससे स्वाइन फ्लू बीमारी होती है, में अब परिवर्तन आएं हैं क्योंकि पहले ये सुअर से इंसानो में फैलता था लेकिन अब ये इंसानों से इंसानों में भी फैलता है.
डॉ. जगदीश ने कहा कि महाराष्ट्र में असेंट्रल रैपिड रिस्पॉन्स टीम को छानबीन के लिए तैनात किया गया है ताकि स्वाइन फ्लू के बढ़ते खतरे का पता लगा सकें और साथ ही सरकार ने टैमीफ्लू को ‘शेड्यूल H1’ के अंदर दाल दिया है जिससे ये दवाई अब सारे लाइसेंस्ड कैमिस्ट पर डॉक्टर की प्रीस्क्रिप्शन पर मिलेगी. ये ड्रग पहले ‘शेड्यूल X’ के अंदर थी जिससे ये कुछ ही कैमिस्ट पर मिलती थी.
वैसे तो आमतौर पर स्वाइन फ्लू वायरस मॉनसून सीजन में दिखने को मिलता है लेकिन जून से ही इतने मामले देखने को मिले है.
अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट डॉ. सुरंजित चटर्जी का कहना है कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी और नेशनल इंस्टीट्यूट सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल को स्वाइन फ्लू के तेज गति से बढ़ते मामलों को लेकर छानबीन करनी चाहिए और स्वाइन फ्लू के एक साल में दिखने वाले विशेष लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए ताकि समय रहते इलाज हो सकें और लोगों की जान बच सकें.
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डॉक्टर्स का कहना है कि स्वाइन फ्लू फैलने वाली रेस्पिरेटरी डिजीज़ है जो वायरस के टाइप A स्ट्रेन से होता है. वायरस शरीर में दूषित सांस लेने से और गंदे हाथ,आंख, मुंह या नाक पर लगाने से हो सकता है.
स्वाइन फ्लू के लक्षण वायरल फीवर जैसे ही होते है लेकिन इसका इफेक्ट बहुत ज्यादा होता है और मरीज को तेज बुखार, गला खराब, सुस्त जैसा लगता है. कुछ मरीजों को जी मिचलाना जैसे और डायरिया के लक्षण भी महसूस होते है और गंभीर मामलों में निमोनिया या ऑर्गन फेल्योर होने की आंशका हो सकती है.
ऐसे में हाइजीन रखना बहुत जरूरी है. बार-बार हाथ धोते रहना चाहिए. कुछ भी खाने से पहले हैंडवॉश जरूर करें.