गुडमानिर्ग… वाइस ऑफ ब्लाइंड में आपका स्वगात है। हर सुबह देशभर के 10 हजार से अधिक दृष्टिहीन दिव्यांगों के व्हाट्सअप और सोशलमीडिया अकाउंट्स पर एक पुरकशिश आवाज गूंज उठती है और फिर सुनाई पड़ती है देश-दुनिया, शहर-गांव की सारी खबरें।

इन खबरों को सुनकर ये हजारों दृष्टिहीन दिव्यांग रोजमर्रा की घटनाओं से वाकिफ होते हैं। जो लोग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए तो ये समाचार और भी खास होते हैं।

साथ ही इसमें दृष्टिहीनों से जुड़ी सरकारी नीतियों, परीक्षाओं, नौकरी के अवसर और अन्य जानकारी व प्रेरणा देने वाली सकारात्मक खबरों को खास तौर पर शामिल किया जाता है। निःशुल्क सेवा का अनूठा सिलसिला तीन साल से जारी है।

इंदौर की अनीता शर्मा पेशे से उद्घोषक हैं और अपने इसी कौशल को उन्होंने सेवा का भी जरिया बना लिया है। वे कहती हैं 2011-12 में एक दोस्त के जरिए मैं इंदौर की संस्था महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ से जुड़ी। यहां दृष्टिहीन दिव्यांगों को निःशुल्क हिंदी, साइंस और हिस्ट्री पढ़ाने का मौका मिला।

वहां मैंने महसूस किया कि ये बच्चे बहुत होशियार हैं मगर स्टडी मटेरियल, आवश्यक जानकारियों और रोजमर्रा की सामान्य जानकारी के अभाव के चलते कई बार ये सामान्य लोगों के मुकाबले पीछे रह जाते हैं। तब मैं कुछ दिव्यांगों को फोन पर रोजाना नई-नई जानकारियों और खबरों से जोड़ने की कोशिश करने लगी।

मगर व्हाट्सएप आने के बाद मेरा काम आसान हो गया। सुबह तीन-चार हिंदी-अंग्रेजी अखबार पढ़ती हूं। उसकी महत्वपूर्ण और दिव्यागों के लिए जरूरी खबरें छांटती हूं। उन्हें रिकॉर्ड करके कई दिव्यांगों को व्यक्तिगत रूप से और कुछ के ग्र्रुप्स पर भेज देती हूं। जहां से वो ये खबरें देश के अलग-अलग हिस्सों में अपने सर्कल में पहुंचा देते हैं।

अनीता बताती हैं मोबाइल इस्तेमाल करने वाले सभी दृष्टिहीन दिव्यांगों के पास आमतौर पर टॉक बैक एप होता है। जिससे उन्हें यह पता चल जाता है कि किसका फोन या मैसेज है।

जब मैं संदेश भेजती हूं तो इससे सभी को पता चला जाता है कि समाचार आ गया है, जिसे वे लोग सुन लेते हैं। अनीता को इस काम में हर दिन चार घंटे का समय लगता है। वह कहती हैं, जब प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने वाले दृष्टिहीन युवा बताते हैं कि यह युक्ति उनके बड़े काम आई, तब मेरी मेहनत सफल साबित हो जाती है।