पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के पत्र ने महाराष्ट्र की राजनीति में खलबली मचा दी है। इसे लेकर भाजपा लगातार शिवसेना सरकार पर हमलावर है और अनिल देशमुख के इस्तीफे की मांग कर रही है। इधर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में आरोप लगाया है कि फडणवीस के मोदी-शाह से मिलने के बाद परमबीर सिंह की चिट्ठी लीक हुई।
शिवसेना ने लिखा कि भाजपा परमबीर सिंह के मुद्दे को बेवजह तूल दे रही है और सरकार को बदनाम करने के लिए परमबीर सिंह का इस्तेमाल कर रही है। ये सबकुछ साजिश का हिस्सा है। शिवसेना ने लिखा, ‘परमबीर सिंह भरोसे के लायक अधिकारी नहीं है, उन पर बिल्कुल विश्वास नहीं किया जा सकता, ऐसा भाजपा सोचती थी। लेकिन उसी परमबीर सिंह को आज भाजपा सिर पर बैठाकर नाच रही है।
पुलिस आयुक्त पद से हटते ही परमबीर सिंह ने गृह मंत्री पर आरोप लगाए कि उन्होंने सचिन वाजे को 100 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य दिया था। परमबीर सिंह के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई की, इसलिए उन्होंने ऐसे आरोप लगाए।’
शिवसेना ने आगे कहा, ‘परमबीर सिंह निश्चित तौर पर एक धड़ाकेबाज अधिकारी हैं, उन्होंने बेहतरीन तरीके से अपनी जिम्मेदारियां निभाईं। परमबीर सिंह ने सुशांत सिंह राजपूत और कंगना रनौत मामले को बेहतरीन ढंग से संभाला लेकिन एंटीलिया मामले में विरोधियों ने उन पर आरोप लगाए, जो शायद सच भी हो। लेकिन पुलिस कमिश्नर का सरकार को पत्र लिखकर आरोपियों के कटघरे में खड़ा करना उचित नहीं है।
शिवसेना ने आगे लिखा कि देवेंद्र फडणवीस मोदी और शाह से मिले और उसके दो दिन बाद परमबीर सिंह ने ऐसा पत्र लिख डाला। पत्र को लेकर विपक्ष जो हंगामा करता है, वो किसी साजिश का हिस्सा ही लगता है। शिवसेना ने आगे कहा कि एक तरफ राज्यपाल राजभवन में बैठकर अलग ही शरारत कर रहे हैं तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर दबाव डाल रही है।
शिवसेना ने आगे कहा कि महाविकास अघाड़ी के पास आज भी बहुत अच्छा बहुमत है, बहुमत पर हावी होने की कोशिश करोगे तो आग लगेगी। यह चेतावनी ना होकर वास्तविकता है। किसी अधिकारी की वजह से सरकार ना ही बनती है और ना ही गिरती है।