दुनियाभर में इस भाषा को वास्तव में कहा जा सकता है वैश्विक भाषा

दुनियाभर में संगीत एक वैश्विक भाषा है. शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के जरिये इसे साबित किया है. उनका कहना है कि विश्व के हर क्षेत्र के संगीत में आपस में जुड़ाव होता है. यह जुड़ाव इंसानों के भावों का होता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि दुनियाभर में विभिन्न भाषाओं और जाति समूहों में व्याप्त गीत और संगीत एक ही तरह के व्यवहार का पैटर्न प्रदर्शित करते हैं. इससे यह पता चलता है कि मानव संस्कृति हर जगह आम मनोवैज्ञानिक भावों से ही निर्मित है.

आपकी जानकारी के​ लिए बता दे कि साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में पहली बार विश्व की विभिन्न जगहों और समूहों के गीत संगीत के प्रकारों में समानता और अंतर का वैज्ञानिक विश्लेषण किया गया है. इस अध्ययन में पूरे विश्व के 300 से अधिक समाजों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गीतों और लोकगीतों पर किए गए 100 से ज्यादा अध्ययनों को भी कवर किया गया है. अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दुनियाभर में तीस अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में फैली 60 संस्कृतियों के लगभग 5000 गीत भी रिकॉर्ड किए.

इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने विभिन्न संस्कृतियों के लोक गीतों के गायन की अवधि, वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल आदि की भी जानकारी ली. अध्ययन में पता चला कि समाजों में संगीत शिशु देखभाल, उपचार, नृत्य, प्रेम, शोक और युद्ध जैसे व्यवहारों से जुड़ा हुआ है.शोधकर्ताओं के अनुसार, ये व्यवहार विभिन्न समाजों के बीच बहुतअलग नहीं हैं.लोरी, नृत्य गीत, प्यार और उदासी के गीतों की जांच करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि समान भावों को साझा करने वाले गीतों में संगीत की विशेषताएं आपस में मिलती हैं. इस अध्ययन के सह लेखक मनवीर सिंह ने कहा कि लोरी और नृत्य के गीत सर्वव्यापी हैं और ये काफी हद तक रूढ़ भी हैं. उन्होंने बताया कि नृत्य के गीत और लोरी एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न भी होते हैं.

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