दिल्ली सरकार हर हाल में तबादलों और तैनाती का अधिकार हासिल करना चाहती है, लेकिन इसमें संवैधानिक ही नहीं, तकनीकी पेंच भी फंसता है। ऐसे में अगर अन्य अधिकारियों के तबादलों का अधिकार सरकार को मिल भी जाए तो भी आइएएस, आइपीएस और दानिक्स को लेकर यह अधिकार नहीं मिल सकता है, जबकि सरकार इन्हीं को अपने अधीन लाना चाहती है। इन तीनों सेवाओं का मूल ढांचा व संविधान में वर्णित प्रावधान ऐसा करने की गुंजाइश नहीं छोड़ते हैं।
संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा एवं दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा बताते हैं कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) दोनों ही अखिल भारतीय सेवाएं हैं। इनसे जुड़े अधिकारी किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के नहीं बल्कि देशभर के होते हैं। उनके कैडर के अनुसार गृह मंत्रलय उन्हें कहीं भी भेज सकता है।
इसी तरह दिल्ली एंड अंडमान निकोबार आइलैंड सिविल सर्विस (दानिक्स) से जुड़े अधिकारी गोवा सहित किसी भी केंद्र शासित प्रदेश में नियुक्त किए जा सकते हैं। ऐसे में जब उक्त तीनों सेवाएं दिल्ली सरकार के अधीन हैं ही नहीं तो उनके तबादलों और तैनाती का अधिकार उन्हें कैसे मिल सकता है। शर्मा के मुताबिक, प्रशासनिक स्तर पर उक्त तीनों सेवाएं केंद्र सरकार की सर्वश्रेष्ठ सेवाएं हैं इसीलिए इनके अधिकारों, भर्ती नियमों, तबादलों इत्यादि सभी मसलों को संविधान के अनुच्छेद 309, 310 और 311 में संरक्षण प्राप्त है।