नई दिल्ली। कांग्रेस के मजबूत होने से आम आदमी पार्टी (AAP) की चिंता बढ़ रही है। AAP को इस बात का भय है कि कांग्रेस मजबूत होती है, तो उसका वोट बैंक ही कांग्रेस की ओर खिसकेगा। दिल्ली में आने वाले कुछ माह में विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इस कारण तेजी से राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं। कुछ सालों से बिखरी हुई कांग्रेस अब मजबूत होने लगी है।
दिल्ली में 15 साल तक राज करने वाली पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी सक्रिय हुई हैं। भाजपा का दामन थामने वाले अरविंदर सिंह लवली की घर वापसी हुई है। संभावना है कि पार्टी छोड़ गए अन्य नेता भी वापसी को तैयार हैं। कांग्रेस जिस तरह से अपना राजनीतिक तानाबाना बुन रही है उससे जाहिर हो रहा है कि वह आगामी विधानसभा उपचुनाव को लेकर सतर्क है। सामान्य तौर पर देखा जाए तो कांग्रेस की सक्रियता से भाजपा को परेशान होना चाहिए था, मगर यहां आम आदमी पार्टी ज्यादा चिंतित दिख रही है।
2012 के बाद दिल्ली की राजनीतिक स्थिति का आकलन करें तो 13 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोटिंग फीसद 24.55 फीसद था, जबकि भाजपा का वोटिंग फीसद 33.7, मगर 13 में पहली बार चुनावी मैदान में आई आम आदमी पार्टी को 29.49 फीसद वोट मिले।
यहां गौर करने वाली बात है कि उस समय तेजी से बदले घटनाक्रम के बाद 15 में फिर हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोटिंग फीसद 15 फीसद से घटकर 9.8 फीसद रह गया। भाजपा को 32.7 फीसद वोट मिले। आप का वोटिंग फीसद 25 से बढ़कर 54.3 फीसद हो गया।
इस चुनाव में कांग्रेस का वोट टूटकर आप के पास ही अधिक आया, मगर 17 में राजौरी गार्डन उपचुनाव में आप की स्थिति गड़बड़ाई। आप इस सीट पर तीसरे स्थान पर रही। पिछले दिल्ली नगर निगम चुनाव में आप का वोटिंग फीसद एकदम से नीचे खिसक गया। अब विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। अगर कांग्रेस मजबूत होती है तो उसका असर भाजपा पर नहीं बल्कि सीधे तौर पर आप पर होगा। आप अब तक भाजपा के वोट बैंक मे सेंध नहीं लगा सकी है।