दिल्ली में हुए ‘निर्भया’ कांड के दोषियों को फांसी देने की तारीख अदालत ने मुकर्रर कर दी है। 22 जनवरी की सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में चारों दोषियों को फांसी दी जाएगी। इस फैसले से उन पीड़ितों को भी जल्द इंसाफ मिलने की उम्मीद जगी है, जो दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध की शिकार हुईं, लेकिन आगरा की उस ‘निर्भया’ का कौन इंसाफ दिलाएगा, जिसकी अर्थी को अपनों का कंधा तक नहीं मिला।
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दिल्ली के ‘निर्भया’ जैसी घटना 21 दिसंबर, 2019 में आगरा में हुई। मानसिक रूप से अस्वस्थ युवती के साथ दुष्कर्म 21 दिसंबर की रात किया गया था। एटा के समकौली के नगला उदी का रहने वाला बेलदार सुगढ़ सिंह उर्फ सोड़ा उसे अगरबत्ती फैक्टरी में ले गया, जहां उसके साथ दरिंदगी की। इसके बाद पीड़िता के सिर पर ईंट से 20 प्रहार किए। उसे मरा समझ वहां से चला गया था। युवती को ले जाते हुए सीसीटीवी फुटेज में आरोपी नजर आया था।
अगले दिन सुबह युवती लहूलुहान अवस्था में मिली। पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज करने वाले चिकित्सकों ने बताया था कि युवती के शरीर में खून बहुत कम बचा था। सिर में कोई ऐसी जगह नहीं थी जहां ईंट से बहुत गहरा प्रहार न किया गया हो। 60 घंटे तक मौत से जूझने के बाद पीड़िता ने दम तोड़ दिया। पुलिस को मौके से खून से सनी ईंट मिली थी। वहां खून बिखरा हुआ था। तभी आशंका हो गई थी कि युवती का बच पाना मुश्किल है।
दिल को झकझोर देने वाली बात यह कि पीड़ित का शव लेने कोई वारिस नहीं आया। युवती कमला नगर की बताई जा रही थी। पहले एक ने उसे अपनी बहन बताया था, लेकिन बाद में वो नहीं आया। शव को 72 घंटे तक पोस्टमार्टम हाउस में रखा रहा। इसके बाद पुलिस और समाजसेवियों ने युवती के शव का अंतिम संस्कार कर दिया।
25 दिसंबर को पुलिस ने आरोपी सुघड़ सिंह उर्फ सोढ़ा को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपी ने अपना गुनाह कुबूल लिया। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को जेल भेज दिया। इस मामले में पुलिस ने अभी चार्जशीट दाखिल नहीं की है। वहीं यह भी नहीं पता चल पाया है कि युवती कौन थी और कहां की रहने वाली थी?