यूपी में बिहार फार्मूले की जमीन तैयार करने में ही गैरभाजपाई दल बिखरे दिख रहे हैं। गठबंधन के नाम पर दल अपनी डपली अपना राग वाली राह पर चल निकले हैं। प्रमुख दल सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद अलग अलग चुनाव लड़ने की बात करने लगे हैं।
माना जा रहा है कि अगर सभी दल एकला चलो की रणनीति पर आगे बढ़े तब भाजपा की घेराबंदी उनके लिए मुश्किल हो सकती है। बिहार फार्मूले को 2017 में यूपी में आजमाने की मंशा रखने वाले राजनीतिक दल अब एकला चलो की राह पर चलते दिख रहे हैं।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पहल थी कि यूपी में कांग्रेस, सपा, रालोद और जेडीयू के साथ चुनाव लड़े। उनका मानना था कि बसपा का साथ मिल जाए तो सोने पर सुहागा रहेगा। इस दिशा में प्रयास शुरू भी किए गए। शुरूआती दौर में ही जेडीयू और रालोद के एका की कोशिश की गई, लेकिन जेडीयू-रालोद की दोस्ती पहले पायदान पर यह नाकाम साबित रही। बसपा मुखिया मायावती भी काफी दिन पहले साफ कर चुकी हैं कि वह किसी दल के साथ चुनाव नहीं लड़ेगी।