जहां एक ओर देश की जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं माहेश्वरी समाज के सामने उसकी तेजी से घटती जनसंख्या बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। इसके चलते अभा माहेश्वरी महासभा ने देशभर के सामाजिक संगठनों को अपने स्तर पर इसके लिए प्रयास करने के निर्देश दिए हैं।
साथ ही देशभर में अब 12 से 18 साल की लड़कियों की काउंसलिंग करने का निर्णय भी लिया गया है। इसमें लड़कियों को सिंगल चाइल्ड के पैरेंट बनने के नुकसान भी बताए जाएंगे। बताया जाएगा कि सिंगल चाइल्ड के पैरेंट होने पर अगर किसी दुर्घटना में बच्चे की मौत हो जाती है तो तीन बच्चों के पिता होने की बजाए बिना संतान जीवन बिताना अधिक तकलीफदायक है।
समझाया जाएगा कि माहेश्वरी समाज जैसे संपन्ना समाज में दो या तीन बच्चों की देखरेख करना उतनी बड़ी चुनौती नहीं है जितनी बिना बच्चों के जीवन यापना करना। साथ ही युवतियों को समाज में ही विवाह करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस कड़ी में माहेश्वरी समाज मध्य राजस्थान प्रांत ने अनूठी घोषणा की है। तीसरे बच्चे पर 50 हजार, चौथे पर एक लाख और पांचवे बच्चे पर 2 लाख रुपए की बच्चे के नाम एफडी करने की घोषणा की है।
2050 तक पहुंच न जाए विलुप्ति की कगार पर
किसी भी समाज की जनसंख्या यथावत या बढ़ने के लिए 100 जोड़ों पर 220 बच्चे होना चाहिए, पर माहेश्वरी समाज में 100 जोड़ों पर 155 बच्चों का रेशो है। ऐसे में 2050 तक माहेश्वरी समाज विलुप्ति की कगार पर पहुंच सकता है। – श्याम सोनी, सभापति, अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा
सर्वे में घटी ढाई लाख तक की जनसंख्या
इंदौर जिला माहेश्वरी समाज के कार्यसमिति सदस्य रामस्वरूप मूंदड़ा के मुताबिक तीन साल पहले देशभर में की गई जनगणना में जनसंख्या 16 लाख आई थी। अभी किए जा रहे सर्वे का काम 60 फीसदी से अधिक हो चुका है। इसमें ढाई लाख तक जनसंख्या कम होने की संभावना नजर आ रही है। सर्वे की तारीख बढ़ाकर 30 जून की गई है। चार फीसदी सालाना की कमी सामने आ रही है।
जिला और ग्रामीण स्तर पर सौंपेंगे जिम्मेदारी
माहेश्वरी समाज की जनसंख्या में आई कमी चिंता की बात है। तीसरा या चौथा बच्चा होने पर सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता यह भी समाजजन के लिए दिक्कत की बात है। तीसरे बच्चे पर 50 हजार और चौथे पर 1 लाख की एफडी समाज की ओर से करने की घोषणा है। महेश नवमी के बाद हम जिला और ग्रामीण स्तर पर इस संबंध में जिम्मेदारियां सौंपेंगे। – राजेंद्र इनानी, अध्यक्ष प्रादेशिक माहेश्वरी सभा
इन कारणों से जनसंख्या में कमी
– उच्च शिक्षित समाज में करियर बनाने पर युवाओं का जोर अधिक है।
– एक संतान वह भी विदेश में जाकर बस जाती है।
– युवतियां का अंतरजातीय विवाह करना।
– शिक्षित युवतियां शहर में विवाह को लेकर इच्छुक रहती हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले युवकों के लिए जीवन साथी की तलाश चुनौती बन गई है।
– पहला बेटा होने के बाद दंपती दूसरी संतान के इच्छुक नहीं रहते हैं। ऐसे में लड़कियों की संख्या में भी कमी आई है।
युवा नहीं मानते योजना से होगा बदलाव
– गोविंद भलिका का कहना है कि तीसरे बच्चे पर 50 और चौथे पर एक लाख की एफडी करवाने जैसी योजना युवा वर्ग को प्रभावित करे ऐसा नहीं लगता है। क्योंकि आज बच्चों की देखरेख, मेडीकल-एजुकेशन इतना महंगा हो गया है कि इस तरह के प्रयास कारगर नजर नहीं आते हैं।
– विजय सोमानी कहते हैं कि पहले बच्चों की परवरिश में संयुक्त परिवार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। एकल परिवार में पत्नी-पत्नी दोनों काम करते हैं। ऐसे में तीसरे या चौथे बच्चे की देखरेख व्यवहारिक नहीं है।