मोदी ने आगे कहा कोई भी देश विकास करने की कितनी भी चेष्टा करे लेकिन वह तबतक आगे नहीं बढ़ सकता जबतक अपने इतिहास और विरासत पर गर्व करना ना जान ले। अपनी विरासत को छोड़कर आगे बढ़ने वाले देशों की पहचान खत्म होनी तय होती है। मोदी ने कहा कि देश के हर जिले में आयुर्वेद हॉस्पिटल होने चाहिए और इसके लिए आयुष मंत्रालय काम कर भी रहा है जिसके अंतर्गत तीन वर्षों में ही 65 से ज्यादा आयुष अस्पताल विकसित किए जा चुके हैं।
मोदी ने कहा कि वक्त-वक्त पर हमारी ऋषि परंपरा, हमारे आचार्य, किसान, हमारे वैज्ञानिक ज्ञान, हमारे योग, हमारे आयुर्वेद, इन सभी की शक्ति का उपहास उड़ाया गया, उसे कमजोर करने की कोशिश हुई और यहां तक की उन शक्तियों पर हमारे ही लोगों के बीच आस्था कम करने का प्रयास भी हुआ लेकिन पिछले तीन वर्षों में इस स्थिति को काफी हद तक बदल लिया गया है जिसपर मुझे गर्व है। पीएम ने आगे कहा कि जो हमारी विरासत है, जो श्रेष्ठ है, उसकी प्रतिष्ठा जन-जन के मन में स्थापित हो रही है
21 जून को मनाए जाने वाले योग दिवस का जिक्र करते हुए मोदी बोले कि जब अलग-अलग देशों में उस दिन लाखों लोग योग करते हैं, तो लगता है कि लाखों लोगों को जोड़ने वाला ये योग भारत ने दिया है। आयुर्वेद का जिक्र कर मोदी ने कहा कि यह सिर्फ एक चिकित्सा पद्धति नहीं है। इसके दायरे में सामाजिक स्वास्थ्य, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण स्वास्थ्य जैसे अनेक विषय भी आते हैं। इसी आवश्यकता को समझते हुए ये सरकार आयुर्वेद, योग और अन्य आयुष पद्धतियों पर जोर दे रही है।
मोदी ने कहा कि हर्बल दवाइयों का आज विश्व में एक बड़ा मार्केट तैयार हो रहा है। भारत को इसमें भी अपनी पूर्ण क्षमताओं का इस्तेमाल करना होगा। हर्बल और मेडिसिनल प्लांट्स कमाई का बहुत बड़ा माध्यम बन रहे हैं।
पीएम ने बताया कि सरकार ने हेल्थ केयर सिस्टम में सौ प्रतिशत एफडीआई (Foreign Direct Investment) को स्वीकृति दी है और इसका फायदा आयुर्वेद और योग को कैसे मिले, इस बारे में भी प्रयास किए जाएंगे।
पीएम ने Unicef की रिपोर्ट का जिक्र कर कहा कि जो परिवार गांव में एक शौचालय बनवाता है, उसके प्रतिवर्ष 50 हजार रुपए तक बचते हैं। वरना यही पैसे उसके बीमारियों के इलाज में खर्च हो जाते हैं। मोदी ने आगे बताया कि बेहतर इलाज और स्वास्थ्य उपलब्ध कराने के लिए में नए एम्स भी खोले जा रहे हैं।
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