…ताकि बच्चों को लेकर न होना पड़े शर्मिंदा, अभिभावकों को देना पड़ेगा ये एग्जाम

बच्चों से जुड़े आचार, व्यवहार और पढ़ाई को लेकर अक्सर स्कूलों पर ठीकरा फोड़ने वाले अभिभावकों को अब सरकार ने भी कुछ सबक सिखाने की ठानी है। इसे लेकर अभिभावकों से एक सेल्फ असेसमेंट (स्वयं का आंकलन) कराया जा रहा है, जिसमें उन्हें अपने बच्चों के व्यवहार व दिनचर्या से जुड़ी जानकारी देनी है। हालांकि इसका एक मकसद बच्चों पर ध्यान न देने वाले अभिभावकों को जगाना भी है।

फिलहाल प्रयोग के तौर पर अभी इसकी शुरुआत देश के कुछ ही चुनिंदा केंद्रीय विद्यालयों में की गई है, लेकिन प्रयोग कारगर रहा, तो इसे देश के सभी स्कूलों में लागू करने की योजना है। इस पूरी कवायद में शामिल अधिकारियों के मुताबिक, इसके जरिए बच्चों में चरित्र निर्माण व व्यक्तित्व विकास के उस बीज को बोना है, जो लगातार उनसे गायब होते जा रहे है। लेकिन यह तभी संभव होगा, जब इनमें स्कूल के साथ अभिभावक भी ध्यान देंगे। इस दौरान अभिभावकों की ओर से बच्चों को लेकर दी गई जानकारी के आधार पर स्कूल भी अपना एक डाटा बैंक तैयार कर रहे है, ताकि पढ़ाई- लिखाई के साथ वह उनकी उन कमियों को ओर भी बराबर ध्यान दे सकें, जिसके बारे में अभी वह अनभिज्ञ थे।

वहीं, केंद्रीय विद्यालयों में शुरू की गई इस अनूठी पहल के तहत अभिभावकों को सेल्फ असेसमेंट ( स्वयं मूल्यांकन ) का एक प्रश्नपत्र नुमा प्रारूप भेजा जा रहा है, जिसमें बच्चों के चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व विकास से जुड़े करीब 23 सवाल हैं। प्रत्येक सवाल के साथ विकल्प भी दिए गए हैं। इनमें अभिभावकों को अपने बच्चे के साथ सटीक बैठने वाले विकल्प पर सिर्फ टिक (सही का निशान लगाना है) करना है।

गौरतलब है कि स्कूलों मे शुरू की गई इस नई पहल को प्रस्तावित नई शिक्षा नीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है, जो आने वाली है। खुद मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का भी लगातार इस बात को लेकर जोर है कि स्कूलों में ऐसी शिक्षा मिलनी चाहिए, जो चरित्र निर्माण के साथ बच्चों के व्यक्तित्व विकास में भी सहायक हो।

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