वैदिक ज्योतिष की गणना में ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मनुष्य का किस्मत कनेक्शन भी कहीं न कहीं इन ग्रहों से जुड़ा है।
ज्योतिषचार्यों के अनुसार कुल नौ ग्रह हैं रवि, चंद्र, मंगल, बुद्ध, ब्रहस्पति, शुक्र, शनि, राहू और केतु। इन नवग्रहों में से प्रत्येक ग्रह विभिन्न परिणाम देते हैं और 12 विभिन्न राशियों में बैठकर कभी-कभी बिल्कुल विपरीत परिणाम देते हैं। हर राशि में प्रत्येक ग्रह के कुछ अच्छे और कुछ बुरे परिणाम होते हैं। तंत्र शास्त्र के अनुसार नवग्रहों की स्थिरता के लिए कुछ सरल और सुलभ उपाय बताए गए हैं। जिनको अपने जीवन में अपनाने से ग्रह नहीं पहुंचाएंगे नुकसान और देंगे वरदान।
* सूर्य अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो बैड के नीचे तांबे के बर्तन में पानी भरकर रखें। ऐसा करना संभव न हो तो पिलो के नीचे लाल चंदन रखें।
* चंद्र खराब हो तो बैड के नीचे चांदी के पात्र में जल भरकर रखें। संभव न हो तो चांदी के गहने पहनें।
* मंगल परेशानी दे रहा हो तो कांसे के बर्तन में पानी भरकर रखें अथवा तकिए के नीचे सोने-चांदी की धातु से बने ज़ेवर रखें।
* बुध जीवन में उथल-पुथल मचा रहा हो तो चकिए के नीचे सोने से बने अलंकार रखें।
* देवगुरू बृहस्पति टेढ़ी चाल चल रहे हो तो हल्दी की गांठ पीले कपड़े में बांधकर तकिए के नीचे रखें।
* शुक्र की शुभता के लिए चांदी की मत्स्य बनाकर तकिए के नीचे रकें अथवा चांदी के पात्र में जल भरकर पलंग के नीचे रखें।
* शनि से संबंधित कोई भी समस्या हो तो लोहे के पात्र में जल भरकर बैड के नीचे रखें अथवा पिलो के नीचे शनिदेव का प्रिय रत्न नीलम रखें।