अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक इमिग्रेशन सिस्टम का ऐलान किया है जिसके जरिए कई लोगों को मेरिट के आधार पर अमेरिका का रेसिडेंस कार्ड मिल सकता है. अगर यह प्रस्ताव अमेरिका की कांग्रेस में पास होता है, तो इससे सीधे तौर पर भारत समेत कई देशों को फायदा हो सकता है. इस एक्ट को Reforming American Immigration for Strong Employment (RAISE) एक्ट कहा जा रहा है.
इस सिस्टम के द्वारा अभी जो लॉटरी सिस्टम चल रहा है वह खत्म होगा और सीधे प्वाइंट् बेस्ड सिस्टम आएगा. जिसके जरिए अच्छी इंग्लिश बोलने की स्किल, पढ़ाई, अच्छी जॉब को मद्देनजर रखा जाएगा.
व्हाइट हाउस में इस एक्ट का ऐलान करते हुए ट्रंप ने कहा कि इस एक्ट के आने से गरीबी कम होगी, वहीं टैक्स देने वाले लोगों का पैसा भी बचेगा. इसके जरिए दूसरे देश के लोगों को अमेरिका के लिए ग्रीन कार्ड मिलेगा. ट्रंप बोले कि इस एक्ट के जरिए पुराना सिस्टम खत्म होकर, नियम के अनुसार प्वाइंट बेस सिस्टम शुरू होगा.
इस एक्ट के आने के बाद उन लोगों को ग्रीन कार्ड हासिल करने में आसानी होगी, जिन्हें अच्छी इंग्लिश बोलनी आती है, जो लोग अपना खर्च उठाने के लिए सक्षम हैं और अपने कौशल के द्वारा अमेरिका की इकॉनोमी को बढ़ावा दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस सिस्टम के साथ किसी अमेरिकी कर्मचारी के साथ भी भेदभाव नहीं हो पाएगा. ट्रंप ने कहा कि अब ऐसा नहीं हो पाएगा कि कोई भी अमेरिका में आएगा, और आसानी से पैसा कमाना शुरू कर देगा. अगर आपके पास स्किल है तभी आप लोग यहां पर काम कर सकते हैं.
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आपको बता दें कि ट्रंप ने सत्ता में आने के बाद H1B वीजा पर कड़ा रुख अपनाया था. जिससे प्रवासी लोगों को काफी फर्क पड़ा था. एच1बी वीजा ऐसे विदेशी पेशेवरों के लिए जारी किया जाता है जो ऐसे ‘खास’ कामों के लिए स्किल्ड होते हैं. अमेरिकी सिटीजनशिप और इमिग्रेशन सर्विसेज के मुताबिक, इन ‘खास’ कामों में वैज्ञानिक, इंजीनियर और कंप्यूटर प्रोग्रामर शामिल हैं. हर साल करीब 65000 को लॉटरी सिस्टम के जरिए ऐसे वीजा जारी किए जाते हैं. आईटी कंपनियां इन प्रोफेशनल पर ज्यादा निर्भर होती है. साल 2017- 2018 के लिए एच1बी वीजा जारी करने के लिए सोमवार को बिना किसी बदलाव के लॉटरी सिस्टम शुरू हो चुका है.
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