डेढ़ रुपए किलो बिक रहा टमाटर, किसान हुए परेशान

tomato_rate_jashpur_2016122_12013_02_12_2016बागबहार-जशपुर, नईदुनिया न्यूज। जिले में टामाटर के बम्पर उत्पादन के बाद जहां किसानों के चेहरे खिल उठे थे, वहीं गुरुवार को किसानों के चेहरे तब उतर गए जब वे पत्थलगांव और फरसाबहार विकासखंड के मंडियों में डेढ़ रुपए किलो टमाटर बेचने के लिए मजबूर हो गए। 50 रुपए टोकरी से बाजार की शुरूआत हुई, जो दोपहर में 25 रुपए टोकरी हो गई। टमाटर बाजार में कीमतों में हो रही इस गिरावट से किसान मायूस हो गए हैं।

किसानों को उम्मीद थी कि गुरुवार को बाजार में किसी भी स्थिति में वे 3 से 5 रुपए किलो टमाटर बेच सकेंगे, लेकिन किसानों की सारी उम्मीद तब टूट गई, जब बाजार में कुछ मिनटों में ही भाव गिर गए। बाजार की शुरूआत लगभग 5 रुपए किलो से हुई और दोपहर 12 बजे के बाद देखते ही देखते डेढ़ रुपए किलो टमाटर बिकने लगे। पल भर में कीमतों में इस कदर गिरावट देख किसानों के होश उड़ गए, लेकिन किसानों के पास कोई और उपाए भी नहीं था।

कीमत कम होने के बाद भी कई किसानों के टमाटर नहीं बिके और किसानों को निराश लौटना पड़ा। थोक बाजार में किसान 25 रुपए टोकरी टमाटर बिचौलियों एंव बाहर से आए व्यापारियों को बेच रहे हैं। किसान आमदनी से कोसो दूर हैं, वहीं बिचौलियों को प्रति किलो 5 से 10 रुपए का लाभ हो रहा है। शहरी क्षेत्र में गुरुवार सुबह खुदरा बाजार में टमाटर की कीमत सुबह 10 रुपए किलो रही, लेकिन दोपहर बाद शहरी क्षेत्रों में भी टमाटर के भाव गिरने लगे। जशपुर के टमाटर से प्रदेश सहित झारखंड, ओड़ीशा, पश्चिम बंगाल की मंडिया गुलजार होती रही हैंं, लेकिन कई राज्यों को गुलजार करने वाले यहां के किसान निराश हैं।

किसानों की हालत को इसी बात से समझा जा सकता है कि यहां के किसान बिचौलियों के द्वारा नियत मूल्य पर टमाटर बेच रहे हैं। जिले के लोवर घाट क्षेत्र में किसानों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जहां सबसे अधिक उत्पादन हुआ है। लोवर घाट लोरो घाटी के नीचे के हिस्से को कहा जाता है, जो जशपुर से रायगढ़ रोड पर स्थित है। विशेषकर पत्थलगांव विकासखंड टमाटर बाजार के क्षेत्र में सबसे बड़ी मंडी है। क्षेत्र के हाट, बाजारों में जहां किसान अपनी उपज बेचने आते हैं, वहीं सड़क के दोनों ओर किसानों को अपनी उपज बेचते हुए देखा जा सकता है।

माप यंत्रों का नहीं होता उपयोग

यहां किसान टमाटर किसी माप यंत्र में तौलकर नहीं बेचते, बल्कि टोकरी की ही एक मापक के रूप में पहचान स्थापित हो गई है। एक टोकरी में लगभग 12 से 15 किलो टमाटर होता है, जिसे बिचौलिए या बाहर के व्यापारी कैरेट में ले जाते हैं। एक कैरेट में दो टोकरी टमाटर रखा जा सकता है, जिसका वजन लगभग 25 से 30 किलो होता है। दो टोकरी को एक भार कहा जाता है। गुरुवार के बाजार में किसानों ने 50 से 100 रुपए भार तक टमाटर बेचे। एक अनुमान के मुताबिक यदि किलो में समझें तो किसानों ने 1.50 से लेकर 3.50 रुपए किलो में टमाटर व्यापारियों को बेच दिया।

सरकारी संरक्षण नहीं

जिले के पत्थलगांव और फरसाबहार विकासखंड टमाटर के उत्पादन के लिए अलग पहचान बना चुका है। इन दो क्षेत्रों समेत जिले में टमाटर का औसत उत्पादन 50 हजार मीट्रिक टन से भी अधिक है। टमाटर की लाली से क्षेत्र को विशेष पहचान दिलाने वाले किसानों की मुसीबतें भी कम नहीं है। मंडी में टमाटर की बेहद कम कीमत के साथ मौसम की मार और सरकारी संरक्षण की कमी किसानों को खलती रही है।

टमाटर उत्पादक किसानों के हितों के लिए क्षेत्र में शुरू की गई योजना का भी हाल बेहाल है। टमाटर ग्रेडिंग यूनिट और सॉस उत्पादन यूनिट सालों से धूल फांकती पड़ी हुई है। सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और प्रोत्साहन से टमाटर उत्पादन के क्षेत्र में जशपुर जिला के पहचान को और भी निखारा जा सकता है।

निराश हैं किसान

अपनी सारी जमा पूंजी लगाने के बाद अपनी उपज से लाभ नहीं मिलने और कीमतों में गिरावट से किसान दुःखी हैं। बागबहार क्षेत्र के किसान दिलेश्वर चौहान , शैनाथ भगत, अवल साय भगत, अरूण पैंकरा, मंगरू भगत, बिहारीराम भगत ने बताया कि चार साल पहले एक बार ऐसी ही स्थिति का सामना उन्हें करना पड़ा था, जब एक रुपए में चार किलो टमाटर उन्हें बेचने पड़े थे। ऐसा पिᆬर होगा इसका अंदाजा उन्हें बिलकुल भी नहीं था। अरूण पैंकरा ने बताया कि इस बार हुई क्षति से हम बहुत आहत हुए हैं और टमाटर उत्पादन को लेकर भविष्य में पिᆬर कभी हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे।

कई राज्यों में उत्पादन है कारण

टमाटर की कीमतों में हुई गिरावट को लेकर व्यापारियों का कहना है कि कई राज्यों में टमाटर का उत्पादन इसका सबसे बड़ा कारण है। ग्राम कछार के व्यापारी उमाशंकर यादव ने बताया कि ओड़िशा बैंगलोर सहित अन्य राज्यों में उत्पादन बढ़ा है, जिसके कारण कीमतों में लगातार गिरावट हो रही है। व्यापारी रघु यादव ने बताया कि ओड़िसा राज्य पत्थलगांव और पᆬरसाबहार विकासखंड से लगा है और किसानों की आमदनी और जलवायु में समानता को देखते हुए पड़ोसी राज्य के किसानों ने भी टमाटर की फसल को अपनाया, जिसके कारण उत्पादन बढ़ा।

ओड़िसा के व्यापारी संजय साहू ने बताया कि ओड़िसा की मंडियों में टमाटर 10 रुपए किलो बिक रहे हैं और ओड़िसा भी जशपुर जिले के किसानों के लिए एक बड़ा बाजार रहा है। आवागमन खर्च सहित अन्य खर्चों को देखें तो बिचौलियों एंव व्यापारियों को इस पᆬसल से कोई विशेष लाभ नहीं हुआ है।

 

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