देश के हर नागरिक और सियासी दल के लिए आज भ्रष्टाचार का मुद्दा सबसे बड़ा है। दीमक की तरह सरकारी तंत्र को खोखला करने वाले भ्रष्टाचार के मामले बेहद चौंकाने वाले आए हैं। आपको जानकर हैरत होगी कि हत्या और किडनैपिंग जैसे संगीन अपराधों से भी कम केस दर्ज भ्रष्टाचार के हुए हैं। सीएचआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक 15 सालों में 29 राज्यों में 53 हजार 164 और सात केन्द्र शासित प्रदेशों में 975 भ्रष्टाचार के केस दर्ज हुए हैं।
29 राज्यों और 7 केन्द्र शासित प्रदेशों के आंकड़ों के विश्लेषण में कई हैरत में डालने वाले खुलासे हुए। उत्तर प्रदेश और बिहार में महाराष्ट्र से भी कम भ्रष्टाचार के केस दर्ज हैं। जबकि इन प्रदेशों में मर्डर और किडनेपिंग के मामले दर्ज हुए हैं। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के 8887 और सबसे कम मेघालय में 15 केस दर्ज हुए हैं। चिटफंड घोटालों के आरोपों के कारण पश्चिम बंगाल की राजनीति पूरे देश में चर्चा बनी। इन 15 सालों में पश्चिम बंगाल में सिर्फ 39 भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हुए हैं। यानी हर साल करीब ढाई केस दर्ज हुए। हिमाचल प्रदेश में भी पिछले कई सालों से भ्रष्टाचार के मामले निकल कर आए थे। लेकिन यहां भी 15 सालों में औसतन हर माह सिर्फ छह केस दर्ज हुए।
उधर केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली की राजनीति भ्रष्टाचार के मुद्दे पर काफ गर्मायी थी। यहां भी 15 साल में सिर्फ 739 भ्रष्टाचार के केस दर्ज हुए। केन्द्र शासित प्रदेशों में सबसे कम दमन व दीव में एक ही केस भ्रष्टाचार के दर्ज हुआ है। भ्रष्टाचार से संबंधित एनसीआरबी के आंकड़ों का अध्ययन करने वाले सीएचआरआई के सदस्य वेंकटेश नायक ने बताया कि भ्रष्टाचार के ये आंकड़े समाज और सरकार दोनों का आईना है। जहां देश का नागरिक सरकारी विभाग में काम फंसने पर शिकायत करने की बजाए कुछ ले देकर काम निकालवाने को मजबूर है।
उसने भ्रष्टाचार को अपने जीवन का हिस्सा मान लिया है। वहीं सरकार भी आंकड़ों में बहुत हेर-फेर करती है। भ्रष्टाचार का सीधा मामला सरकार की नाकामी से जुड़ा होता है। इसलिए अगर कोई शिकायत करने की कोशिश करता है तो शिकायतकर्ता को हतोत्साहित करने के कई तरीके अपनाए जाते हैं। वहीं हत्या और अपहरण जैसे मामले बिना केस दर्ज के नहीं सुलझते। इसलिए इनकी संख्या भ्रष्टाचार के दर्ज मामलों से कहीं ज्यादा है।
उधर केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली की राजनीति भ्रष्टाचार के मुद्दे पर काफ गर्मायी थी। यहां भी 15 साल में सिर्फ 739 भ्रष्टाचार के केस दर्ज हुए। केन्द्र शासित प्रदेशों में सबसे कम दमन व दीव में एक ही केस भ्रष्टाचार के दर्ज हुआ है। भ्रष्टाचार से संबंधित एनसीआरबी के आंकड़ों का अध्ययन करने वाले सीएचआरआई के सदस्य वेंकटेश नायक ने बताया कि भ्रष्टाचार के ये आंकड़े समाज और सरकार दोनों का आईना है। जहां देश का नागरिक सरकारी विभाग में काम फंसने पर शिकायत करने की बजाए कुछ ले देकर काम निकालवाने को मजबूर है।
उसने भ्रष्टाचार को अपने जीवन का हिस्सा मान लिया है। वहीं सरकार भी आंकड़ों में बहुत हेर-फेर करती है। भ्रष्टाचार का सीधा मामला सरकार की नाकामी से जुड़ा होता है। इसलिए अगर कोई शिकायत करने की कोशिश करता है तो शिकायतकर्ता को हतोत्साहित करने के कई तरीके अपनाए जाते हैं। वहीं हत्या और अपहरण जैसे मामले बिना केस दर्ज के नहीं सुलझते। इसलिए इनकी संख्या भ्रष्टाचार के दर्ज मामलों से कहीं ज्यादा है।
उत्तर प्रदेश – 968 – 80372
उत्तराखंड – 100 – 3555
हिमाचल – 1080 – 1794
पंजाब – 3171 – 11672
जम्मू व कश्मीर – 948 – 6743
हरियाणा – 2446 – 13561
चंडीगढ़ – 114 – 309
दिल्ली – 739 – 7878