जेवर गैंगरेप कांड दो हफ्ते बाद वारदात वाली जगह के चारों ओर मोबाइल टॉवरों से कनेक्ट हुए मोबाइल नंबरों का डाटा पुलिस ने हासिल किया।
नंबरों की तस्दीक और कॉल डिटेल से पुलिस को पहला सुराग मिला। इसके बाद पुलिस का स्केज हरियाणा के बावरिया से हूबहू मिला, जिसके बाद जांच आगे बढ़ती गई।एसएसपी लव कुमार ने बताया कि वारदात वाली जगह के चारों ओर मोबाइल टॉवरों को चिन्हित किया गया।
24 मई की रात 11 से 3 बजे के बीच इन टॉवरों से कनेक्ट हुई करीब एक लाख मोबाइल कॉल का डाटा लिया। इसके बाद इन्हें सर्किल के आधार पर बांटकर सूची बनाई गईं। जिन संभावित रास्तों से बदमाश फरार हो सकते थे उन रास्तों की ओर गए लोकेशन बदलने वाले मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल निकाली गईं। इसी बीच महिलाओं से बातचीत के आधार पर बदमाशों का स्केच बनवाया गया था। पुलिस मोबाइल लोकेशन के आधार पर पुलिस हरियाणा पहुंची। वहां की पुलिस को स्केच दिखाए गए।
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मुखबिरों ने एक आदमी की तलाश की जिससे स्केच हूबहू मेल खा गया। वह बावरिया गिरोह का सक्रिय सदस्य बताया गया। जो गायब मिला। बस यहीं पुलिस को पहला सुराग मिल गया। इस सारी प्रक्रिया में करीब एक महीना लग गया। इसके बाद पुलिस के काम में तेजी आई।सर्विलांस टीम को लगा एक महीनाबदमाशों तक पहुंचने के लिए पुलिस की सर्विलांस टीम को काफी मेहनत करनी पड़ी। टीम ने एक महीने में करीब एक लाख मोबाइल कॉल खंगाली है।
एसएसपी ने बताया कि इस घटना का खुलासा करने के लिए क्राइम ब्रांच, एंटी एक्सटोर्सन सेल और एसटीएफ के अलावा सर्विलांस टीम लगी थी। सर्विलांस की टीम ने दिन-रात मेहनत करके सुराग हासिल किए।चोरी के वाहन और हथियार करने लगे प्रयोगपहले बावरिया गिरोह चोरी के वाहनों का प्रयोग नहीं करता था। अब चोरी का कारों का प्रयोग करते हैं, जिससे चंद घंटों में राज्यों से बाहर निकल जाते हैं। वारदात के लिए लाठी, डंडे, सरिया, ईंट और पत्थरों का इस्तेमाल करते थे। अब तमंचे लेकर चलते हैं, जिसके कारण और ज्यादा खतरनाक हो गए हैं।