रॉयल एनफील्ड बनाने वाली कंपनी आयशर मोटर्स के शेयर (Eicher Motors Shares) अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। कंपनी के प्रॉफिट में Royal Enfield का 50 फीसदी से ज्यादा का योगदान है।
ऑटो इंडस्ट्री समय के साथ बदलती रहती है। इस क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों को भी समय के साथ अपने ब्रांड में बदलाव करना पड़ता है। ऐसा न करने पर कंपनी पिछे रह जाती है। इस समय ऑटो इंडस्ट्री में एक से एक बड़े-बड़े ब्रांड की तूती बोलती है। इसमें इतने सेगमेंट हैं कि हर एक सेगमेंट में कोई न कोई ब्रांड स्थापित हो चुका है। इसी तरह का एक ब्रांड है रॉयल एनफील्ड। इस मोटरसाइकिल का नाम आपने जरूर सुना होगा। इस कंपनी की मालिक आयशर मोटर्स लिमिटेड है। पिछले एक महीने में आयशर मोटर्स लिमिटेड के शेयर लगभग 5 फीसदी का रिटर्न दे चुके हैं। इसके शेयर लगातार उड़ान भर रहे हैं।
कैसे हुई थी आयशर मोटर्स की शुरुआत?
भारत के आजादी के बाद इसकी अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि प्रधान थी। किसान खेती के पारंपरिक, मैनुअल तरीकों पर निर्भर थे। यह ऐसे ही समय में था जब 1948 में मन मोहन लाल ने ट्रैक्टर आयात करने और वितरित करने के लिए गुडअर्थ कंपनी की स्थापना की। 1952 और 1957 के बीच कंपनी ने भारत में 1,500 ट्रैक्टर बेचे।
मन मोहन लाल ने 1958 में कृषि वाहनों के निर्माण के लिए जर्मन ट्रैक्टर निर्माता कंपनी ट्रैक्टरेन के साथ सात साल की साझेदारी की। कंपनी का नाम बदलकर आयशर ट्रैक्टर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड कर दिया गया और यह देश की पहली ट्रैक्टर निर्माता कंपनी बन गई।
1980 में आयशर ट्रैक्टर्स इंडिया, जिसका रेवेन्यू उस समय लगभग 80 करोड़ रुपये था, ने मूल जर्मन कंपनी आयशर ट्रैक्टरेन का अधिग्रहण कर लिया, जो मंदी से त्रस्त अर्थव्यवस्था में डगमगा रही थी। विदेशी बैंकों से ऋण लेकर मन मोहन के बेटे विक्रम ने मूल कंपनी को बचाने के लिए 2 करोड़ रुपये का निवेश किया।
Royal Enfield को जब आयशर ने खरीदा
1990 के दशक में, आयशर गुडअर्थ ने एनफील्ड इंडिया में शुरुआती 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी। 1993 में ये हिस्सेदारी बढ़ाकर 60 फीसदी कर दी। इसके बाद कंपनी ने इसे पूरी तरह से खरीद लिया। 1994 में इसका नाम बदलकर रॉयल एनफील्ड मोटर्स लिमिटेड कर दिया गया।
1996 में, आयशर ट्रैक्टर का रॉयल एनफील्ड के साथ विलय हो गया और आयशर लिमिटेड बन गया। 1999 में, विक्रम के बेटे सिद्धार्थ कंपनी में शामिल हुए। शुरुआत में ट्रैक्टर डिवीजन में काम करने के बाद उन्होंने रॉयल एनफील्ड की गिरती किस्मत को फिर से संवारने का काम संभाला। विक्रम लाल की मौत के बाद उनके बेटे सिद्धार्थ लाल कंपनी के MD और CEO बने। उन्होंने रॉयल एनफील्ड को मॉडिफाई किया और एक नया लुक दिया।
सिद्धार्थ ने रॉयल एनफील्ड ब्रांड को आगे बढ़ाना जारी रखा। उनके नेतृत्व में कंपनी ने थंडरबर्ड 350 और 500 मॉडल (2012) लॉन्च किए, 2013 में तमिलनाडु के ओरागादम में अपना दूसरा विनिर्माण संयंत्र खोला। और उसी साल कंपनी ने यूनाइटेड किंगडम में कॉन्टिनेंटल जी.टी. 535 सी.सी. कैफे रेसर लॉन्च किया।
आयशर मोटर्स की प्रमुख कंपनी है Royal Enfield
आज आयशर मोटर्स में रेवेन्यू और प्रॉफिट का 50 फीसदी से अधिक योगदान रॉयल एनफील्ड दे रही है। 2014 तक ये आंकड़ा 80 फीसदी तक का था। FY 2022-23 में रॉयल एनफील्ड ने 8,00,000 से अधिक मोटरसाइकिल बेची थी। वैश्विक स्तर पर भी कंपनी अच्छा कर रही है। 50 से अधिक देशों में रॉयल एनफील्ड की मोटरसाइकिल निर्यात की जाती है।
रॉयल एनफील्ड अब ईवी सेक्टर में भी एंट्री कर चुकी है। कंपनी फ्लाइंग फ्ली C6 के साथ मार्केट में एंट्री करेगी। हालांकि, अभी इसकी लॉन्च डेट सामने नहीं आई है। लेकिन जनवरी 2026 तक इसके लॉन्च होने की संभावना है।
कैसा रहा है शेयरों का प्रदर्शन
आयशर मोटर्स के शेयरों ने 5 साल में 206.22 फीसदी का रिटर्न दिया है। अगर एक साल की बात करें तो एक साल में इसने 19.4 फीसदी का रिटर्न दिया है। इस साल जनवरी से लेकर अब तक आयशर अपने निवेशकों को 15.23 फीसदी का रिटर्न दे चुकी है। पिछले एक महीने में इसके शेयर 4.5 फीसदी के करीब भाग चुके हैं। कंपनी की ग्रोथ देखकर लग रहा है कि आने वाले समय में इसके शेयर और तेजी के साथ भागेंगे। आज NSE पर इसके शेयर 0.92 फीसदी की बढ़त के साथ 5663 रुपये के स्तर पर बंद हुए।