बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद जेडीयू में कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। पार्टी के बड़े नेता शरद यादव ने जहां चुनाव आयोग में पार्टी सिंबल के लिए चुनौती दी है, वहीं अब पार्टी में एक और भूचाल आ गया है। बिहार विधानसभा के पूर्व स्पीकर उदय नारायण चौधरी, पूर्व मंत्री और विधायक श्याम रजक ने नीतीश कुमार को दलित विरोधी बताया है। पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में दोनों नेताओं ने इशारों-इशारों में राज्य और केन्द्र सरकार पर निशाना साधा।
श्याम रजक ने कहा कि वंचित समाज को मुख्यधारा में लाने का भीमराव आंबेडकर और महात्मा गाँधी ने जो सपना देखा था, वह देश की आजादी के सात दशक बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। हालत ये है कि वंचित समाज आज भी कूड़े के ढेर से अनाज चुनकर पेट की भूख मिटाने को विवश है।
हालांकि, श्याम रजक ने कहा कि वे नीतीश कुमार सरकार की मंशा पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं, लेकिन यह सच है कि वंचितों की भलाई के लिए जिनको पॉलिसी को लागू करना था, उनकी नीयत में खोट है।
उन्होंने कहा कि सत्ता में जो लोग हैं, उनकी जिम्मेदारी थी, हमारे समाज को मुख्यधारा में लाने की। पर कुछ लोग हमारे अधिकार को ही छीनना चाहते हैं और आरक्षण खत्म करने की बात कह रहे हैं। इसलिए हम लड़ेंगे और जिला से ब्लॉक स्तर तक जाकर इस बारे में लोगों को बताने का काम करेंगे।
बता दें कि श्याम रजक पहले लालू यादव के करीबी माने जाते थे। वो लालू-राबड़ी मंत्रिमंडल में कई विभागों के मंत्री रह चुके हैं। लेकिन साल 2010 में उन्होंने आरजेडी से त्यागपत्र दे दिया और जेडीयू का दामन थामा। 2010 से 2015 तक वो नीतीश सरकार में भी मंत्री रहे। हालांकि, 2015 में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। वहीं पूर्व स्पीकर उदय नारायण चौधरी को पिछले विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
इन दोनों नेताओं के पार्टी के खिलाफ बयानबाजी के बाद जेडीयू ने आक्रामक रूख अख्तियार किया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि इन दोनों नेताओं को पद की लालसा थी. जो पूरी नहीं हुई। तो किसी न किसी बहाने वह लालसा तो बाहर आ ही जाती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जदयू इस मामले को गंभीरता से देख रहा है। अगर ये पार्टी के खिलाफ जाएंगे तो जदयू इन दोनों पर कार्रवाई जरूर करेग।