नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली पर इस आम बजट 2018 से पहले कार्पोरेट टैक्स की दर को घटाकर 25 फीसद करने का भारी दबाव है। एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार ने तीन साल पहले ऐसा किए जाने का वादा किया था और उन्हें इसे पूरा करना चाहिए। उनका कहना है कि इतना ही नहीं अमेरिका में कार्पोरेट टैक्स दरों में हो रही कमी को देखते हुए भारत को भी अपनी टैक्स दरों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाने की जरूरत है।
उद्योग को फिलहाल इस बात को लेकर संदेह है कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली इस बार के बजट में कार्पोरेट टैक्स की दर को 30 फीसद से घटाकर 25 फीसद करेंगे, जिसका उन्होंने चार साल पहले वादा किया था। हालांकि उद्योग का यह भी मानना है कि आने वाले बजट में वित्त मंत्री को कम से कम इसे 28 फीसद करने पर विचार करना चाहिए।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि सरकार के लिए यह बजट कई मायनों में अहम होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जेटली को न सिर्फ इस बजट से राजकोषीय घाटे को सीमित करने का खाका खींचना होगा बल्कि रोजगार एवं ग्रामीण क्षेत्रों पर अपने बजट को केंद्रित कर रोजगार सृजन के नए अवसरों का रोडमैप भी तैयार करना होगा। हालांकि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद जिसका हाल ही में गठन हुआ है का मानना है कि सरकार का यह बजट लोकलुभावन नहीं होगा।
गौरतलब है कि अरुण जेटली अपना अगला आगामी बजट 1 फरवरी को पेश करेंगे। इस बजट के लिए बजट सत्र की शुरुआत 29 जनवरी से हो जाएगी और इसी दिन इकोनॉमिक सर्वे भी पेश कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का यह आखिरी पूर्णकालिक बजट होगा।