अगर आपसे कोई पूछे कि दुनिया का सबसे नायाब हीरा कौनसा है..? तो आपका जवाब होगा ‘कोहिनूर’। कोहिनूर मूल रूप में ये 793 कैरेट का हीरा था, जिसकी चमक के पीछे पूरा संसार आज तक पागल है। लेकिन क्या आप इस हीरे की चमक में पीछे छिपे काले सच का पक्ष भी जानते हैं..? अगर नहीं तो यहां पढ़ें…
दुनिया का सबसे बड़ा कोहिनूर हीरा मूल रूप से आंध्र प्रदेश के गोलकोंडा खनन क्षेत्र में मिला था। बताते हैं कि जब यह मिला था तो यह 793 कैरेट का था लेकिन अब यह 105.6 कैरेट का रह गया है। वजन 21.6 ग्राम है। 1304 के आसपास इस हीरे का जिक्र की पहली जानकारी मिलती है, जिसके बाद इसका जिक्र ‘बाबरनामा’ पुस्तक में भी मिलता है।
मुगल शासक बाबर की जीवनी पर लिखी ‘बाबरनामा’ में ग्वालियर के राजा बिक्रमजीत सिंह ने अपनी सभी संपत्ति 1526 में पानीपत के युद्ध के दौरान आगरा के किले में रखवा दी थी। बाबर ने युद्ध जीतने के बाद किले पर कब्जा जमाया तो वहां मिले कोहिनूर पर कब्जा जमा लिया। उस वक्त हीरा 186 कैरेट का था।
उस समय इस हीरे को बाबर हीरा का नाम दे दिया गया। इसके बाद ये हीरा मुगलों के पास ही रहा। 1738 में ईरानी शासक नादिर शाह ने मुगलिया सल्तनत पर हमला किया तो 1739 में उसने दिल्ली के तब के शासक मोहम्मद शाह को हरा कर उसे बंदी बना लिया और शाही खजाने को लूट लिया।
तब ‘बाबर हीरे’ का नाम नादिर शाह ने कोहिनूर रख दिया। नादिर शाह कोहिनूर को अपने साथ ले गया। 1747 में नादिर शाह के अपने ही लोगों ने उनकी हत्या कर दी। इसके बाद कोहिनूर नादिर शाह के पोते शाह रुख मिर्जा के कब्जे में आ गया। 14 साल के शाह रुख मिर्जा की नादिर शाह के बहादुर सेनापति अहमद अब्दाली ने काफी मदद की तो शाह रुख मिर्जा ने कोहिनूर को अहमद अब्दाली को ही सौंप दिया। यह हीरा जिसके भी पास गया उसका पतन हो गया। फिलहाल, यह हीरा इंग्लैंड की महारानी के ताज में जड़ा है। कहते हैं कि पूरी दुनिया में अभी तक यह केवल इंग्लैंड के शाही खानदान के लिए ही लकी साबित हुआ है।
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