सॉलिड वेस्ट की प्रोसैसिंग के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जालंधर निगम को जो डैडलाइन दे रखी है, उस मामले में अगली सुनवाई संभवतः 9 अगस्त को सुनवाई होनी है। एन.जी.टी. द्वारा दी गई डैडलाइन के बावजूद जालंधर नगर निगम ने अभी तक कूड़े की मैनेजमैंट और प्रोसैसिंग का काम शुरू नहीं किया। इस मामले में केवल लंबी-लंबी बैठकों का दौर ही जारी है और एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोपी जा रही है। सिर्फ प्लानिंग ही बनाई जा रही है ताकि एन.जी.टी. समक्ष जवाब दायर किया जा सके।
एन.जी.टी. की टीम कई बार जालंधर आकर असल स्थिति अपनी आंखों से देख चुकी है। कई सालों के निर्देशों के बावजूद एन.जी.टी. द्वारा जालंधर निगम ने एन.जी.टी. के निर्देशों पर कोई ठोस अमल नहीं किया है। अब भी यदि निगम द्वारा की जा रही खानापूर्ति जैसी कार्रवाई नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की नजर में आ गई तो इसी सुनवाई पर जालंधर निगम पर नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा करोडों रुपए का जुर्माना ठोका जा सकता है। इसकी संभावना जालंधर निगम के उच्च अधिकारियों ने भी व्यक्त की है। पता चला है कि आज एन.जी.टी. के निर्देशों को लेकर बुलाई गई एक बैठक दौरान निगम कमिश्नर ने साफ शब्दों में एन.जी.टी. के संभावित जुर्माने का जिक्र किया और इस काम में लगे अधिकारियों को सचेत किया।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन ने भी निगम अधिकारियों को तलब किया
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एन.जी.टी. द्वारा नियुक्त की गई नोडल एजैंसी है जिसके माध्यम से जालंधर निगम को कूड़े की मैनेजमैंट इत्यादि से संबंधित उत्तर देने होते हैं। पिछले दिनों पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन ने भी निगम अधिकारियों को तलब करके कूड़े की प्रोसैसिंग इत्यादि बारे विस्तृत रिपोर्ट तलब की। उस बैठक के दौरान जालंधर निगम की कार्यशैली को लेकर बोर्ड चेयरमैन ने साफ शब्दों में निगम अधिकारियों से कहा कि ऐसी स्थिति में एन.जी.टी. द्वारा कोई भी सख्त फैसला लिया जा सकता है। पता चला है कि बोर्ड चेयरमैन ने भी निगम अधिकारियों को लिखित जवाब देने हेतु कहा है।