जानिए नेताजी की अनूठी प्रेम कहानी प्यार से अपनी प्रेमिका बुलाते थे…

ये 1934 का साल था। सुभाष चंद्र बोस उस वक्त ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में थे। उस वक्त तक उनकी पहचान कांग्रेस के योद्धा के तौर पर होने लगी थी। सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान जेल में बंद सुभाष चंद्र बोस की तबीयत फरवरी, 1932 में खराब होने लगी थी। इसके बाद ब्रिटिश सरकार उनको इलाज के लिए यूरोप भेजने पर मान गई थी, हालांकि इलाज का खर्च उनके परिवार को ही उठाना था। विएना में इलाज कराने के साथ ही उन्होंने तय किया कि वे यूरोप रह रहे भारतीय छात्रों को आजादी की लड़ाई के लिए एकजुट करेंगे। इसी दौरान उन्हें एक यूरोपीय प्रकाशक ने ‘द इंडियन स्ट्रगल’ किताब लिखने का काम सौंपा, जिसके बाद उन्हें एक सहयोगी की जरूरत महसूस हुई, जिसे अंग्रेजी के साथ-साथ टाइपिंग भी आती हो।

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