नई दिल्ली (जेएनएन)। कारखानों और उद्योगों में काम करने वाले लाखों कामगारों के वेतन भुगतान को लेकर सरकार एक ऐसी योजना बना रही है, जिसके तहत वर्तमान में नकद सैलरी पा रहे इन कामगारों को वेतन चेक या सीधे उनके बैंक खातों में भुगतान के जरिए दिया जाएगा।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक इसके लिए कैबिनेट नोट जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि इससे देखा जा सकेगा कि वर्करों को न्यूनतम वेतन मिल रहा है कि नहीं। नोटबंदी के साथ सरकार का लक्ष्य है कि मजदूरों को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा तय की गयी न्यूनतम मजदूरी मिल सके। मोदी सरकार का यह आईडिया कैशलेस इकॉनमी को प्रमोट करने का भी है। जिन कामगारों का वेतन 18000 रुपये प्रति माह से कम है उन्हें इस नए कानून के तहत लाया जाएगा।
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सरकार द्वारा बनाए जा रहे इस नए कानून के तहत फैक्टरियों में काम करने वाले कामगारों का वेतन या तो चैक से या फिर सीधे खातों में ट्रांसफर करना आवश्यक होगा। सूत्रों ने बताया कि श्रमिकों को कैश में वेतन दिये जाने पर काफी भ्रष्टाचार होता है।
केंद्र सरकार रेलवे, हवाई सेवाओं और खदानों तथा तेल कंपनियों में काफी काम ठेकेदार के माध्यम से होता है। ठेकेदार श्रमिकों के साथ धोखाधड़ी न करने पाएं इसके लिए सरकार इलेक्ट्रॉनिक भुगतान को अनिवार्य करने का प्रयास कर रही है, वहीं संबंधित राज्य सरकारें अपने औद्योगिक प्रतिष्ठानों की पहचान करेंगी।
इसके लिए सरकार को मजदूरी अधिनियम,1936 के सेक्शन 6 में संशोधन करना होगा, जिसके तहत औद्योगिक या अन्य प्रतिष्ठानों को सैलरी का भुगतान चेक या बैंक खातों के माध्यम से करना होगा