धराली आपदा: आठ जगहों पर दिए कैडेवर डॉग्स ने संकेत, खोदाई हुई तो निकला पानी

धराली आपदा प्रभावित क्षेत्र में आठ जगहों पर कैडेवर डॉग्स ने संकेत दिए। एनडीआरएफ ने जीपीआर मशीन से ग्राउंड जीरो की स्कैनिंग शुरू की। वीडियो में जिस जगह से लोग भागते नजर आए थे वहां भी खोदाई हुई थी।

धराली में ग्राउंड जीरो पर एनडीआरएफ के कैडेवर डॉग्स (शव खोजी कुत्ते) ने आठ जगह सूंघकर संकेत दिए। यहां खोदाई शुरू हुई तो नीचे से पानी निकल आया, जिससे वहां काम रोकना पड़ा। अब यहां ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) से ग्राउंड जीरो की स्कैनिंग की जा रही है। इस राडार की तरंगों से मलबे में दबे भवनों की खोज की जाएगी। इसके बाद जहां से सही दिशा में संकेत मिलेंगे वहीं पर खोदाई की जाएगी।

दरअसल, धराली में आपदाग्रस्त क्षेत्र से वहां फंसे लोगों को निकालने का काम लगभग पूरा हो गया है। अब पुलिस और अन्य एजेंसियों ने वहां पर दूसरे चरण में शवों को तलाशना शुरू कर दिया है। इसके लिए शुरुआत में ही एनडीआरएफ ने वहां पर दो कैडेवर डॉग्स को तैनात किया था। इन डॉग की मदद से लगातार खोज अभियान चलाया जा रहा है।

अलग-अलग सेक्टरों में बांटकर खोज शुरू की
इन डॉग ने रविवार को कुल आठ जगहों पर सूंघकर संकेत दिए थे। यहां एनडीआरएफ ने जब खोदाई की तो मलबे के नीचे से पानी निकलने लगा। ऐसे में एनडीआरएफ को वहां पर खोदाई रोकनी पड़ी। इसके अलावा स्थानीय लोगों से जानकारी के आधार पर एनडीआरएफ ने उस जगह पर भी खोदाई की जहां पर वीडियो में लोग भागते नजर आ रहे थे।

यहां भी पानी के कारण ज्यादा खोदाई नहीं हो सकी। डीआईजी एनडीआरएफ गंभीर सिंह चौहान ने बताया कि यहां पर जीपीआर से स्कैनिंग की जा रही है। यह रडार तरंगों पर काम करने वाला उपकरण है। इससे भूमि के अंदर स्ट्रक्चर का पता लगाया जाता है। मसलन अगर कहीं मकान या अन्य कोई भवन होने के संकेत मिलेंगे तो ठीक उसी जगह पर खोदाई की जाएगी।

इससे वहां पर समय की बचत के साथ आसानी से काम किया जा सकता है। एनडीआरएफ ने पूरे इलाके को अलग-अलग सेक्टरों में बांटकर खोज शुरू कर दी है। ज्यादा बड़ी मशीनें भी यहां पर पहुंचने में दिक्कत आ रही है लिहाजा मैन्युअली खोदाई करनी पड़ रही है।

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