ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने ब्रिटिश संसद में 1919 में हुए जलियांवाला बाग नरसंहार पर दुख जताते हुए इसे ब्रिटेन-भारत इतिहास का शर्मनाक धब्बा बताया है. ब्रिटेन संसद में बोलते हुए पीएम टेरेसा मे ने कहा, ‘हमें अफसोस है जो कुछ हुआ और जिसकी वजह से लोगों को त्रासदी का सामना करना पड़ा.’
टेरेसा मे ने कहा, ‘1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार ब्रिटिश भारतीय इतिहास का शर्मनाक धब्बा है. जैसा कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1997 में जलियांवाला बाग जाने से पहले कहा था कि यह भारत के साथ हमारे अतीत के इतिहास का दुखद उदाहरण है.’
इसके जवाब में विपक्ष की लेबर पार्टी के नेता जर्मी कॉर्बन ने मांग की कि जिन्होंने इस नरसंहार में अपनी जान गंवाई उनसे माफी मांगी जानी जाहिए.
इससे पहले ब्रिटेन के एक पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने जलियांवाला बाग हत्याकांड को गंभीर रूप से शर्मनाक कृत्य बताया था. कैमरून 2013 में भारत दौरे पर आए थे.
वहीं ब्रिटिश विदेश मंत्री मार्क फील्ड ने जलियांवाला बाग नरसंहार पर हाउस ऑफ कामंस परिसर के वेस्टमिंस्टर हॉल में आयोजित बहस में भाग लेते हुए कहा कि हमें उन बातों की एक सीमा रेखा खींचनी होगी जो इतिहास का शर्मनाक हिस्सा हैं. फील्ड ने कहा कि वह ब्रिटेन के औपनिवेशिक काल को लेकर थोड़े पुरातनपंथी हैं और उन्हें बीत चुकी बातों पर माफी मांगने को लेकर हिचकिचाहट होती है.
मार्क फील्ड ने कहा कि किसी भी सरकार के लिए यह चिंता की बात हो सकती है वह माफी मांगे. इसकी वजह यह भी हो सकती माफी मांगने में वित्तीय मुश्किलें भी हो सकती हैं.
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